For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मन्दिर का घंटा


बिना लाग लपेट के 
बिना पाखण्ड के 
सुन लेता है 
समझ लेता है
ईश्वर मन की बात
जान लेता है आत्मा के भाव
फिर भी जाने क्यों 
मन्दिर का घंटा जोर जोर से
तीन बार बजाने पर हr
प्रार्थना पूर्ण होने का
पूर्ण सा अहसास होता है
आत्म-मन -चित्त को  
बडा ही भ्रमित है 
मेरा अल्पज्ञान 
ये सोच सोचकर 
भारहीन मौन प्रार्थना को
ईश्वर तक पहुँचाने के लिये 
मन्दिर के घंटे की आबाज 
का  भारी भरकम
भार क्यों लपेटा जाता है ?

मौलिक व अप्रकाशित
उमेश कटारा

Views: 780

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by umesh katara on April 28, 2015 at 7:40am

आदरणीय शिज्जु "शकूर"' जी आभार

Comment by umesh katara on April 28, 2015 at 7:40am

आदरणीय 'krishna mishra 'jaan'gorakhpuri जी आभार

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 26, 2015 at 5:05pm

उमेश सर जी सुन्दर रचना पर बधाई,आपकी कविता के रोचक विषय नयापन ला रहे है!साधुवाद!

मेरे हिसाब से ''मंदिर में घंटे का वही महत्व है जो कि योगसाधना में 'ॐ' का है'' !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 26, 2015 at 9:30am

अपने मनोभावों को आपने खूब शब्दों में ढाला है बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by umesh katara on April 24, 2015 at 6:09pm

आदरणीय Mohan Sethi 'इंतज़ार' जी आभार

Comment by umesh katara on April 24, 2015 at 6:09pm

आदरणीय निलेश जी आपका मनोरंजक प्रतिक्रिया के लिये आभार

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 24, 2015 at 1:42pm

देखिये!! भगवान जी कई बार निजी कार्यों में व्यस्त होते हैं. किसी के भी घर बिना खटखटाए नहीं घुसना चाहिए. घंटा मंदिर की डोरबेल है कि भगवान जी किचन, बेडरूम आदि से ड्राइंग रूम में आ कर बैठ सकें.
बाक़ी घंटे का एक काम और है कि आरती के दौरान वाद्ययंत्र की तरह संगीतमय ताल दे सके और आरती सुरुचिपूर्ण हो सके.
(नोट: उपरोक्त बातें सिर्फ कपोलकल्पित "मन की बात" हैं अत: इन्हें भी अन्य मन की बातों की तरह गंभीरता से न लिया जाए)  

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on April 24, 2015 at 1:32pm

आदरणीय umesh katara जी सुंदर रचना ...घंटे की आवाज़ ईश्वर के लिये नहीं होती बल्कि प्रार्थना करने वाले के लिये होती है ताकि जो गूंज और vibrations हैं वो सचेत को कुछ पलों के लिये सब कुछ भुला देते हैं ....मैडिटेशन के भाव में ले आते हैं ..जैसे ॐ की गूंज .... शायद ...ऐसा मुझे लगता है .....सादर  

Comment by umesh katara on April 23, 2015 at 10:46pm

आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया जी आभार

Comment by umesh katara on April 23, 2015 at 10:45pm

आदरणीय Dr. Vijai Shankerजी आभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
10 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service