“ कुछ कीजिये..सर!! आप ने तो भाषण दे दिया कि प्राकृतिक आपदा के कारण, गुणबत्ता रहित अनाज भी समर्थन मूल्य पर खरीद लेंगे. इससे हम लोगों को नुक्सान हो जायगा. चुनावी फंड, रिफंड करने का अच्छा अवसर है..”
“ अरे!! आप लोग व्यापारी हो, इतना भी नही समझते. किसानो को पैसों की बहुत जरुरत है. अभी भाषण ही दिया है , लिखित आदेश की गति बहुत धीमी होती है.."
जितेन्द्र पस्टारिया
(मौलिक व् अप्रकाशित)
Comment
आदरणीया मंजू जी. आपका ओ.बी.ओ. मंच पर स्वागत है. रचना पर उपस्थिति हेतु आपका आभारी हूँ
सादर!
लघुकथा पर आपकी स्नेहिल सराहना पाकर,बहुत मनोबल मिलता है आदरणीय डा.गोपाल जी
सादर!
आदरणीया सविता जी.आपका बहुत-बहुत आभार
सादर!
आपका आशीर्वाद पाकर ,रचना धन्य हुई आदरणीय डा.विजय जी. आपका ह्रदय से आभार
सादर!
लघुकथा पर आपकी उपस्थिति व् सराहना के लिए आपका ह्रदय से आभारी हूँ, आदरणीय बागी जी
सादर!
aaj ke yatharth ko paribhashit karti huyi sundar laghuktha ,.. badhai
कथनी, करनी और मक्कारी के मेल से तैयार हुई लघुकथा अच्छी लगी बधाई आदरणीय जीतेन्द्र जी.
वाह जीतू भाई
मजा अ गया . क्या सुन्दर कटाक्ष किया है .
बढ़िया कटाक्ष
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