For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुक्तिका: ...चलो प्रिय. ---संजीव 'सलिल'

मुक्तिका
...चलो प्रिय.
संजीव 'सलिल'
*
लिये हाथ में हाथ चलो प्रिय.
कदम-कदम रख साथ चलो प्रिय.

मैं-तुम गुम हो, हम रह जाएँ.
बन अनाथ के नाथ चलो प्रिय.

तुम हो मेरे सिर-आँखों पर.
मुझे बनाकर माथ चलो प्रिय.

पनघट, चौपालें, अमराई
सूने- कंडे पाठ चलो प्रिय.

शत्रु साँप तो हम शंकर हों
नाच, नाग को नाथ चलो प्रिय.

'सलिल' न भाती नेह-नर्मदा.
फैशन करने 'बाथ' चलो प्रिय.

***********************

Views: 458

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by sanjiv verma 'salil' on June 14, 2010 at 8:59am
बढ़ा रहे उत्साह जो, उन सबका आभार.
मौन सराहें जो-न क्यों, जोड़े मन के तार..
Comment by baban pandey on June 10, 2010 at 1:35pm
WAAH SALIL BHAI...MAZA AA GAYE.....AISE RACHNAYE BAHUT HI KAM MILTI HAI ...BADHAI SWEEKAR KARE
Comment by satish mapatpuri on June 10, 2010 at 11:09am
लिये हाथ में हाथ चलो प्रिय.
कदम-कदम रख साथ चलो प्रिय.
शत्रु साँप तो हम शंकर हों
नाच, नाग को नाथ चलो प्रिय.
शत्रु साँप तो हम शंकर हों
नाच, नाग को नाथ चलो प्रिय.
शत्रु साँप तो हम शंकर हों
नाच, नाग को नाथ चलो प्रिय.

शत्रु साँप तो हम शंकर हों
नाच, नाग को नाथ चलो प्रिय.
श्रद्धेय सलिल जी, बहुत सुन्दर मुक्तक है. मेरा साधुवाद स्वीकार करें.

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 9, 2010 at 2:24pm
Acharya jee, bahut hi sunder Muktika hai.
Comment by Admin on June 9, 2010 at 1:42pm
शत्रु साँप तो हम शंकर हों
नाच, नाग को नाथ चलो प्रिय.

'सलिल' न भाती नेह-नर्मदा.
फैशन करने 'बाथ' चलो प्रिय.
बहुत ही बढ़िया आचार्य जी , आप का लिखा एक एक लाइन पढ़ने के बाद मन मुग्ध हो जाता है, बार बार पढ़ने की इछा ये बताने मे सक्षम है की रचना की खूबसूरती कितनी है, सादर आभार ,
Comment by Rash Bihari Ravi on June 9, 2010 at 1:29pm
शत्रु साँप तो हम शंकर हों
नाच, नाग को नाथ चलो प्रिय.
sir ji bahut sundar rachna sabd nahi hain mere pas ,
Comment by aleem azmi on June 9, 2010 at 12:55pm
very nice sir....its really touching one....thnx
best rgrds
aleem azmi

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
15 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
18 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
13 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
13 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
14 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
14 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
20 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
22 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service