For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

   

 रोहित का आठवाँ  जन्मदिवस है मम्मी पापा उत्साहित हैं, कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते उसके जन्म दिवस की पार्टी की तैयारी में,  तन मन  से लगे हैं  ये सोचकर की शायद उनका लाडला नार्मल हो जाए उसके चेहरे पर एक बार मुस्कराहट वापस आ जाए|

पापा ने बड़े प्यार सेपूछा ”बोलो बेटा क्या लोगे ? जो भी तुम इस बर्थ डे पर मांगोगे मैं तुम्हे वही लाकर दूंगा"

” पापा मुझे एक तोता ला दो”|

सुनते ही जैसे पापा को  पंख लग गए तुरंत एक तोते का पिंजरा ले आये| मम्मी पापा दोनों की ख़ुशी की कोई सीमा नहीं थी चलो आज बच्चे ने कुछ तो माँगा शायद वो तोते को ही अपना दोस्त अपना हमराज बनाना चाहता हो|

फिर वो घड़ी आई जब केक काटना था रोहित अचानक अन्दर गया और पिंजरा उठाकर छत पर भागा सभी बच्चे व्  बड़े भी उसी के साथ छत पर पंहुच गए|

इससे पहले कि पापा कुछ पूछते रोहित ने पिंजरा  खोला और तोते को आकाश में उड़ा दिया|

 उड़ते हुए तोते को देखकर रोहित के  चेहरे की ख़ुशी देखने लायक थी वो पहले की तरह ताली पीट पीट  कर हँस रहा था मम्मी पापा की आँखों में ख़ुशी के आँसू बह रहे थे|

किडनैपरों से रिहा होने के पूरे एक महीने बाद आज उनका बेटा  हँस रहा था|

 (मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 1048

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 10, 2015 at 9:44pm

जितेन्द्र भैया,लघु कथा आपको पसंद आई  मेरा लिखना सफल हुआ दिल से बहुत- बहुत आभार आपका | 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 10, 2015 at 7:41pm

बहुत ही सुंदर भाव ली हुई लघुकथा है आदरणीया राजेश दीदी. पूरी तरह कसावट ली हुई इस सफल लघुकथा पर बहुत-बहुत बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 10, 2015 at 4:48pm

आ० डॉ० आशुतोष मिश्रा जी,आप जैसे सजग लेखक और पाठक रचना को मिल जाए तो रचना धन्य हो जाती है आपकी प्रतिक्रिया से अभिभूत हूँ ,हृदय तल से  आभार आपका|  

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 10, 2015 at 4:09pm

आदरणीया राजेश जी ...आपकी लघुकथा बेहद पसंद आयी ..उधर तोते का पिंजड़े से उड़ना होता है इधर सुंदर भावों से रची इस रचना का दिल के पिंजरे में कैद होना होता है ...सच में स्वतंत्रता से बढ़कर कोई सुख नहीं हैं ..सबसे बड़ा मौलिक अधिकार ..ताजगी से भरी इस रचना के लिए तहे दिल बधाई सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 9, 2015 at 9:29pm

आ० सौरभ जी,लघु कथा पर आपकी उपस्थति व् सराहना मेरी लेखनी में नई परवाज भर गई.आपने मिथिलेश जी को जिस तरीके से सोदाहरण समझाया उसके सम्मुख  नत हूँ मेरी लघु कथा पर आपका एक शब्द 'ग़ज़ब' ही मेरा प्रशस्ति पत्र है  हृदय से बहुत- बहुत आभारी हूँ  सादर.  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 9, 2015 at 7:08pm

ग़  ज़  ब......  !!!

नमन ..

आदरणीय मिथिलेश जी, आपके सुझाव के बरअक्स मेरा कहना है कि ऐसे शब्दों के प्रयोग की दो मान्यताएँ हैं.
एक के अनुसार वही जैसा आपने कहा है.
दूसरी मान्यता के अनुसार इस बात पर ज़ोर दिया जाता है कि जो विदेसज (?) शब्द भाषा में घुल मिल गये हैं. उनके प्रयोग में भाषा के सामान्य व्याकरण-नियम लागू होते हैं. जैसे, दो ट्रेनों में भिड़ंत ज़बरदस्त हुई थी. उस सभा के बाद हॉल में सभी टेबुलों के पाये टूट गये थे. आदि.


आदरणीया राजेश कुमारी जी ने जिस प्रवाह में किडनैपरों का प्रयोग किया है वह वाचन क्रम में चुभता नहीं.

इस परिप्रेक्ष्य में मैं किडनैपर्स के प्रयोग की तो कभी सलाह नहीं दूँगा.
व्याकरण के नियमों का पालन उचित है. परन्तु यह भी देखना है कि उसका प्रयोग कौन कर रहा है ! जब भावाभिव्यक्ति के स्तर पर बात होने लगे तो फिर तनिक हेरफेर बहुत अर्थ नहीं रखता. आदरणीया राजेशजी शब्द सम्बन्धी तथा व्याकरणीय अभ्यासों की लम्बी प्रक्रिया से गुजर चुकी हैं.. :-)))
सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 9, 2015 at 5:47pm

महर्षि त्रिपाठी जी,आपको लघुकथा परफेक्ट लगी ,मेरा लिखना सफल हुआ ,दिल से आभारी हूँ | 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 9, 2015 at 5:45pm

आ० अखिलेश जी,लघु कथा को आपका अनुमोदन प्राप्त हुआ मेरा लेखन सफल हुआ दिल से आभारी हूँ|  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 9, 2015 at 5:43pm

शिज्जू भैया ,लघुकथा आपको पसंद आई दिल से आभार आपका. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 9, 2015 at 5:42pm

विनय कुमार सिंह जी,आपकी न्याय संगत समीक्षा से प्रोत्साहित हूँ लघु कथा के भाव ने आपको प्रभावित किया मेरा लिखना सफल हुआ बहुत- बहुत शुक्रिया . 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
16 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service