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"मास्टरजी तुम्हारा काम बच्चो को पढ़ाना है, इन छोरो के साथ नेतागिरी करना नही।" चौधरी भान सिंह के बेटे की आवाज सुनकर नारेबाजी करते नौजवान कुछ क्षण के लिये शांत हो गये।
गाँव मे नशे के खिलाफ खड़े होने वाले कुछ नौजवानो के साथ आ मिले दो पीढ़ियों से गाँव में मास्टरी कर रहे काशीनाथजी ने उसे किनारे किया और पीछे खड़े भानसिह से मुस्कराकर बोले। "चौधरी साहब। नशाखोरी की लत गाँव के बच्चो को निक्कमा बना रही है, हमारा फर्ज बनता है कि हम इस जंग में इन नौजवानो का साथ दे।"
"मास्टरजी। अपना फर्ज तो तुम कभी का पूरा कर चुके, ये तो इनके संस्कार है जो इन्हे इस गंदगी मे ले जाते है।" चौधरी साहब ने बेटे से मौन सहमति जताते हुये तंज भरे स्वर में कहा। काशीनाथजी बाप और बेटे पर गहरी नजर डालते हुये बोले। "चौधरी साहब। उन बच्चो का तो पता नही, लेकिन मुझे लगता है कि मेरी 'मास्टरी' में और आपके संस्कारो में जरूर कमी रह गयी है।
उनकी आँखे झुक चूकी थी और नौजवानो की नारे बाजी फिर शुरू हो गयी थी।
'विरेन्दर वीर मेहता' (मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by VIRENDER VEER MEHTA on April 9, 2015 at 8:19am
आदरणीय मिथिलेश वामनकर भाई रचना पर आपकी स्नेह भरे शब्दो के लिये हार्दिक आभार।
Comment by VIRENDER VEER MEHTA on April 9, 2015 at 8:13am
आ० शिज्जु शकूर जी कथा पर आपकी प्रतिक्रिया और हौसला अफजाओ के लिये आपका हार्दिक आभार।
Comment by VIRENDER VEER MEHTA on April 9, 2015 at 8:12am
आ० शिज्जु शकूर जी कथा पर आपकी प्रतिक्रिया और हौसला अफजाओ के लिये आपका हार्दिक आभार।
Comment by VIRENDER VEER MEHTA on April 9, 2015 at 8:09am
आदरणीय श्याम नारायण वर्माजी कथा पर आपकी मौजूदगी और प्रतिक्रिया के लिये दिल से आभार।
Comment by VIRENDER VEER MEHTA on April 9, 2015 at 8:05am
आदरणीय क्रष्ण मिश्राजी, आपको कथा अच्छी लगी। आपका दिल से आभार।
Comment by VIRENDER VEER MEHTA on April 9, 2015 at 8:04am
आदरणीय क्रष्ण मिश्राजी, आपको कथा अच्छी लगी। आपका दिल से आभार।
Comment by VIRENDER VEER MEHTA on April 9, 2015 at 8:00am
आदरणीय डॉ० विजय शंकर जी, रचना पर आपकी प्रतिक्रिया से मेरी कथा सार्थक हुई। दिल से आभार स्वीकार करे।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 9, 2015 at 1:58am

आपको सफल लघुकथा पर हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 8, 2015 at 10:24am

बहुत खूब आदरणीय आपने बढ़िया सामयिक विषय को उठाया है

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 7, 2015 at 6:43pm
प्रेरक , बधाई, आदरणीय , सादर।

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