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आ, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी ,रचना पर आपने प्रतक्रिया दे,,मैं आपका आभारी हूँ,,,आ.आपसब की छत्रछाया में में अवश्य पद्य रचना में सफल हो जाऊंगा ,,,,अपना आशीष सदैव बनाये रखें |
प्रिय महर्षि
आप सौरभ जी की टीप को समझे i उन्होंने संकेत में काफी कुछ कह दिया है i आपके पास भाव है शब्दों में पिरोना धीरे से आयेगा . मेरी शुभ कामनाएं . स्नेह .
आ. शिज्जु "शकूर" जी रचना आपको पसंद आई ,,आपका आभार सादर |
आदरणीय महर्षि त्रिपाठी जी भावाभिव्यक्ति हेतु बहुत बहुत बधाई
आपकी कल्पना सात्विक है, इसके लिए आप साधुवाद के पात्र हैं.
आप पद्य रचनाओं के मूल को समझें.
शुभेच्छाएँ
रचना पर उत्साहवर्धक ,टिप्पणी देने हेतु आप सभी का आभार |
सभी धर्म की आड़ में दानव न बनते हों
ज्ञान ले लिया हो पर कभी रावण न बनते हों बहुत सुन्दर!
वाह ! बहुत खूब | सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई |
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