For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"निभाते जो साथ तो बात कुछ और थी”

मेरी जिन्दगी का मतलब काश की समझे होते,    

होते न आज इतने दूर  तो बात कुछ और होती.
है किस्मत कितनी बुरी बोलती है ऐ मेरे हाँथ की लकीरे,        
तुम पास होते तो बात कुछ और होती.                        
मै अब मेरी जिंदगी से करू क्या शिकवा गम नहीं मरने का,     
तुम साथ होते तो बात कुछ और होती.                            
एक लम्बी प्रेम पारी हम साथ चले,राहे तुम बदल लिए तो क्या ,       
जो हमदम चले होते आज साथ तो बात कुछ और होती.             
पूल्कित प्रेम नयन का दर्पण था तुम्हारा  मै                            
मुझमे देख सँवरते, तो बात कुछ और होती

इन काली घटाएं गेसूयो की छटाएं  को आप लाख संवारो ,

मेरे प्रेम हांथो से सँवरते तो बात कुछ और होती.                                              

करते है आप जो श्रृंगार  करता है कोई नज़रन्दाज,

मेरे लिए करते जो आज  तो बात कुछ और होती.

मेरे मन मूरत है आप दिल की गहराईयों से अपनाया था,

आप भी अपनाते हमें तो बात कुछ  और होती.

कुछ वरस अपना कर प्रेम बंधन तोड़ अलविदा कह चल दिए

गर जो आप चाहत का सिलसिला बठाते तो बात कुछ और थी.

Views: 378

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sanjay Rajendraprasad Yadav on April 5, 2011 at 3:24pm
श्री गणेश जी "बागी",और वन्दना जी, को बहुत आभार और नमस्कार,  

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 4, 2011 at 8:13pm
बहुत बढ़िया संजय जी, अच्छा प्रयास , आभार !
Comment by Sanjay Rajendraprasad Yadav on March 27, 2011 at 2:13pm
आज पहली बार मैंने पि है, 
आप के जुदाई में मैंने ऐ जिंदगी जी है.
तुम इस तरह मुझे  भूल  जाओगे,
समझ के भी मैंने जीने की भूल की है. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय दयाराम जी नमस्कार अच्छा प्रयास है ग़ज़ल जा बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की टिप्पणी से सीखने को…"
43 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय अमित जी बहुत शुक्रिया आपका इतनी बारीक़ी से समझाने बताने के लिए सुझाव से मतला ख़ूब हुआ ,बाकी…"
49 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय अमित जी, आपकी टिप्पणी एवं सुझाव के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
57 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय Dayaram Methani जी आदाब  ग़ज़ल के प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। द्वेष हर दिल से मिटा कर…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें। 2122 1122 1122 22 घर…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय अजय गुप्ता 'अजेय' जी आदाब  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल अच्छी हुई है। गुणीजनों के सुझाव से इसमें और निखार आया है। हार्दिक…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय निलेश जी, आप हमेशा ही अच्छी ग़ज़ल लिखते है। इस बार भी आपकी ग़ज़ल का कोई सानी नहीं है। मेरी…"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ग़ज़ल सुदर एवं सामयिक है। अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई।"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
" और, हाँ, जनाब,  गिरह सम्बंधित आपक सुझाव भी शत-प्रतिशत प्रशंसनीय है ! मगर  कारण वही…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service