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गौरैया

खुश थी

चोंच मे सतरंगी सपने लिये

आसमान मे उड रही थी

उधर,

गिद्ध भी खुश था

गौरैया को देखकर

उसने अपनी पैनी नजरे गडा दी

मासूम गौरैया पे,

और दबोचना चाहा अपने खूनी पंजे मे

गौरैया, घबरा के भागी पर कितना भाग पाती ??

आखिर,

गिद्ध के पंजे मे आ ही गयी

गौरैया फडफडा रही थी, रो रही थी

गिद्ध खुश था अपना शिकार पा के

कुछ देर बाद

गौरैया अपने नुचे और टूटे पंखों के साथ

लहूलुहान जमीं पे पडी थी

उसके सतरंगी सपने बिखरे पड़े थे

अभी भी उपर, नीले नही लाल आसमान मे

कुछ और गौरैया उड रही हैं

चोंच मे अपने सतरंगी सपने दबाये

जबकि कुछ और गिद्ध बेखौफ उड रहे हैं

अपना शिकार पाने के लिये

मुकेश इलाहाबादी ---------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 24, 2015 at 10:31pm

मैं तो इशारा समझ गया था ...कहने का अंदाज नया है 

गौरेया आज भी बुनती सपने, फुदकती आँगन में उड़ती आकाश  में, 

अनगिनत गिद्ध घूमते आँखें गराए हैं  

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on March 24, 2015 at 10:39am
bahut bahut aabhar rachna pasandgee aur utsahvardhan ke liye bhaee Mohan Sethi je aur Mithilesh Wamankar jee
Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on March 24, 2015 at 7:58am

जीत और हार ...और टूटते सपनों की कल्पना निखरी है ....बधाई ...सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 23, 2015 at 6:47pm
प्रतीकात्मक सुन्दर प्रस्तुति , आदरणीय मुकेश जी, बधाई, सादर।

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Comment by मिथिलेश वामनकर on March 23, 2015 at 5:03pm
आदरणीय मुकेश जी बहुत ही बेहतरीन रचना। प्रतीक अपने मूल भाव को व्यक्त करने में सफल। एक कालजयी रचना जो कई सन्दर्भों में खुलती है। इस विशिष्ट रचना के लिए हार्दिक बधाई निवेदित है।
Comment by MUKESH SRIVASTAVA on March 23, 2015 at 3:14pm

jee - mitra - ishara wahee hai - baakee khul ke nahee kaha - sarahna ke liye shukraguzaar hoon Dr. Gopal Narayan Srivastava jee

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 23, 2015 at 2:17pm

मुकेश जी

इस कविता को सुकुमारियो से हो रहे बलात्कार से सांकेतिक रूप से जोड़ते तो कविता  क़यामत बन जाती . फिर भी बहुत अच्छी है . आपको बधायी. सादर .

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on March 23, 2015 at 12:44pm
aabhar Shyam Narain Verma jee
Comment by Shyam Narain Verma on March 23, 2015 at 12:25pm
सुंदर भाव से संजोयी रचना पर बधाई स्वीकारें

कृपया ध्यान दे...

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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