For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

“अरे!! भाई.. दोनों में से एक बैल तो अभी दांत वाला है, ठीक से कीमत बता. फिर बिना दांत वाला वैसे ही लेजा, उसका क्या करूँगा मैं..? आखिर खली-भूसा भी महंगा पड़ता है..”

“पटेल भैया .. दांत वाले की ही कीमत है, बुढ्ढे बैल को मुझ से भी कौन खरीदेगा..? यहीं खूंटे भी ही मरने दो..”

नजदीक ही पटेल भैया के बीमार पिता, चारपाई पर पड़े सारी बातें सुन रहे थे...

 

  जितेन्द्र पस्टारिया

(मौलिक व् अप्रकाशित)

Views: 862

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 25, 2015 at 10:22am

आपका आत्मीय आभार ,आदरणीय निलेश जी

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 25, 2015 at 10:22am

आपके प्रोत्साहन से बहुत मनोबल मिलता है, आदरणीय जवाहर जी. ह्रदय से आभारी हूँ

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 25, 2015 at 10:21am

लघुकथा पर आपकी उपस्थिति हेतु आपका ह्रदय से आभार, आदरणीय डा.आशुतोष जी

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 25, 2015 at 10:20am

रचना आपका आशीर्वाद पाकर,धन्य हुई आदरणीय विजय जी. ह्रदय से आभारी हूँ

सादर!

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 25, 2015 at 8:35am

बहुत खूब ...

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 24, 2015 at 10:21pm

जितेन्द्र जी, आपकी लघुकथा का जवाब नहीं....बहुत सटीक 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 24, 2015 at 2:35pm

आदरणीय जीतेन्द्र जी ..अंतस को झकझोरती इस शानदार लघु कथा के लिए तहे दिल बधाई सादर 

Comment by vijay nikore on March 24, 2015 at 10:55am

 सदैव समान सुन्दर मार्मिक लघुकथा। बधाई।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 24, 2015 at 10:44am

लघुकथा पर आपकी स्नेहिल सराहना के लिए ,ह्रदय से आभारी हूँ आदरणीया राजेश दीदी.

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 24, 2015 at 10:42am

आदरणीय कृष्णा जी. आपकी लघुकथा पर पुन: उपस्थिति हेतु आपका आभारी हूँ. रचना में दो पात्र है विक्रेता और क्रेता. विक्रेता को इनपुट के अनुसार सही आउटपुट नही मिल पा रहा है याने की बिना दांत का बैल ,जिसे क्रेता ने बुजुर्ग कहा है. बैल जब तक स्वस्थ और युवा होता है ताकतवर रहता है और इंसान को उसकी ताकत से ही आउटपूट मिलता है दांत गिरने के बाद बैल उतना खा नही पाता ,जितना की उससे काम लिया जा सके. ऐसे जानवरों को पालने वाले उन पर पूरा ध्यान देते है उनकी खुराक एकदम से कम हो जाना अक्सर उनकी बीमारी की तरफ ही इशारा करती है.

सादर!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
4 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
22 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। सुंदर, सार्थक और वर्मतमान राजनीनीतिक परिप्रेक्ष में समसामयिक रचना हुई…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२/२१२/२१२/२१२ ****** घाव की बानगी  जब  पुरानी पड़ी याद फिर दुश्मनी की दिलानी पड़ी।१। * झूठ उसका न…See More
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"आदरणीय उसमानी साहब जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला उसके लिए हार्दिक आभार। जो बात आपने कही कि…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"कौन है कसौटी पर? (लघुकथा): विकासशील देश का लोकतंत्र अपने संविधान को छाती से लगाये देश के कौने-कौने…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"सादर नमस्कार। हार्दिक स्वागत आदरणीय दयाराम मेठानी साहिब।  आज की महत्वपूर्ण विषय पर गोष्ठी का…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service