For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुमने किया छल! -कृष्णा मिश्रा

तुमने किया छल

भावविभोर विह्वल

जल-थल मन

मन जल-थल !

हर प्रतिमा में ढूंढूँ

बिम्ब तुम्हारे..

अनंतपथ में ढूंढूँ

पदचिन्ह तुम्हारे..

अहा! रहते

तुम सम्मुख सदा..

करते अभिनय नयनों में...

नयनों से ओझल!

तुमने किया छल....

सांझ-सकारे जोहूँ

मै बाट तुम्हारा..

पर सामर्थ्य कहाँ

हृदय में,प्राण में?

भर सकूँ ओज तुम्हारा..

नित्य नए पात्र का

करता मै अभिनय..

फिर भरके तुम

प्राण में अपना उद्दीपन

करते फिर तुम नयन सजल!

तुमने किया छल....

तुमने किया छल

भावविभोर विह्वल

जल-थल मन

मन जल-थल !

‘’मौलिक व अप्रकाशित’’

Views: 603

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 17, 2015 at 10:57am

आदरणीय कृष्णा भाई , बहुत सुन्दर !! हार्दिक बधाई ॥

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on March 17, 2015 at 4:25am

वाह बहुत खूब रचना हुई है ...बधाई आप को 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 16, 2015 at 7:59pm

प्रिय  कृष्णा

सुन्दर रचना  . प्रयास् जारी रहे .

Comment by Hari Prakash Dubey on March 16, 2015 at 7:18pm

 भाई कृष्ण मिश्रा जी, सुन्दर रचना है ,आपको बहुत बहुत बधाई ! सस्नेह 

Comment by Shyam Mathpal on March 16, 2015 at 7:16pm

Aadarniya Krishna Mishra Ji,

Bahut hi sundar.... Dil ki gahraiyon se badhai.

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 16, 2015 at 6:19pm
सुन्दर अतुकांत कविता , बधाई , आदरणीय कृष्ण मिश्रा जी, सादर।
Comment by maharshi tripathi on March 16, 2015 at 5:52pm

वाह !! आ.बड़े भाई  आपको गजल के अतिरिक्त एक अतुकांत कवि के रूप में देखकर बहुत अच्छा लगा ,,,आपको दिली बधाई |

Comment by Shyam Narain Verma on March 16, 2015 at 2:32pm
बहुत सुन्दर ॥ अतुकांत रचना के लिये हार्दिक बधाइयाँ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति और प्रशंसा से लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय "
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने एवं सुझाव का का दिल से आभार आदरणीय जी । "
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सौरभ जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया एवं अमूल्य सुझावों का दिल से आभार आदरणीय जी ।…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, सुन्दर गीत रचा है आपने. प्रदत्त विषय पर. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, मौसम के सुखद बदलाव के असर को भिन्न-भिन्न कोण…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service