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दोहे (गंगा माँ )

गंगा माँ की गोद में,बसा कानपुर धाम
सरसैया के घाट पर, उगती सहर तमाम  ॥

 

महा आरती मात की, कर लो हृदय लगाय

  कट जायें संकट सभी ,सुंदर सरल उपाय ॥

 

हिमगिर के उर से बही,पसरी वसुधा गोद

लहराती वो चल पड़ी,भरती मन आमोद 

 

मोक्षदायनी याद में , कहाँ भागीरथ आज

उनका तप बल याद कर,सफल बना लो काज ॥

 

गंगा गीता गाय को , प्यार करें भगवान
मानव इसको भूल कर,करता बस अभिमान ॥

 

चारु चंद्र जब निकलता,माँ गंगा के तीर
रजत रश्मियों से खिला, निर्मल पावन नीर॥ 

मौलिक व अप्रकाशित 

कल्पना मिश्रा बाजपेई 

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Comment by kalpna mishra bajpai on March 15, 2015 at 7:29pm

आ०  गिरिराज भंडारी  सर आप का आभार /सादर आपने सही कहा है मैं तो बस सीख रही हूँ आप सभी के मार्गदर्शन की आकांक्षी हूँ 

Comment by kalpna mishra bajpai on March 15, 2015 at 7:26pm

आ0 मिथिलेश वामनकर जी आप का आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 15, 2015 at 8:56am

आदरणीया कल्पना जी , सभी दोहे बहुत सुन्दर हुये हैं , हार्दिक बधाइयाँ ।

संकट सारे कटेंगे  --- को अगर--  कट जायें संकट सभी  -- करें को गेयता ठीक लग रही है , सोच के देखियेगा ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 14, 2015 at 9:00pm

आदरणीया कल्पना जी सुन्दर दोहावली के लिए हार्दिक बधाई 

इन में गेयता थोड़ा भंग हुई है -

संकट सारे कटेंगे

चारु चंद्र जब निकलता

Comment by kalpna mishra bajpai on March 14, 2015 at 7:45pm

आ0 khursheed khairadi जी आभार आप का /सादर 

Comment by kalpna mishra bajpai on March 14, 2015 at 7:44pm

आ0  लक्ष्मण रामानुज लडीवाला सर आप के सुझाव के लिये आभारी हूँ /सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 14, 2015 at 12:28pm

सुंदर  प्रयास के लिए बधाई आद  कल्पना मिश्रा बाजपेयी जी | लय भी साधने का प्रयास करे -

महा आरती मात की, कर लो हृदय लगाय

संकट सारे कटेंगे ,सुंदर सरल उपाय ॥ ---  विषम चरण का अंत १२ से ही करे | कटेंगे में  122 है | " संकट सारे कट सके" किया जा सकता है | सादर 

Comment by khursheed khairadi on March 14, 2015 at 9:21am

आदरणीया कल्पना जी सुन्दर दोहावली है |सादर अभिनन्दन |

Comment by kalpna mishra bajpai on March 12, 2015 at 11:23pm

आ०  Dr. Vijai Shanker जी आभार आप का /सादर 

Comment by kalpna mishra bajpai on March 12, 2015 at 11:23pm

आ० Shyam Mathpal जी आभार आप का /सादर 

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