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"यार,काव्य-गोष्ठी तो बहुत कर लीं पर काव्य-सम्मेलनों से बुलावा नहीं आता |"

"अरे मिट्टी के माध, अच्छी कविता लिखना–पढ़ना ही काफ़ी नहीं|"

"तो !"

"तोता बनना सीखो |"

"कैसे?"

"सज्जन के घर राम-राम |और चोर के घर-माल-माल |और फिर पाँचों अंगुलियाँ घी में | "

.

सोमेश कुमार (मौलिक एवं अप्रकाशित )

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Comment

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Comment by somesh kumar on February 4, 2015 at 9:39am

सौरभ सर और गणेश सर रचनाओं पर आपका आना ही रचना को सफल बना देता है|शायद आपने कथा के पीछे मेरी मनोभावना को पहचान लिया |शायद इसे ही विशेषज्ञता या अंतर-दृष्टी कहते हैं|वन्दना जी ,गिरिराज सर एवं कांता दीदी आपके स्नेह के लिए भी आभार 

Comment by vandana on February 3, 2015 at 7:37am

बहुत खूब आदरणीय वाह 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 2, 2015 at 4:33pm

अबकी धोया है प्योर 'निरमा' वाशिंग पाउडर के साथ, बहुत खूब बंधू, बधाई प्रेषित है स्वीकार करें.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 2, 2015 at 4:21pm

हा हा हा हा............  सोमेश भाई ज़िन्दाबाद !

संक्षिप्त, सटीक, स्पष्ट ! ..

बधाइयाँ-बधाइयाँ !!

Comment by kanta roy on February 2, 2015 at 11:46am
आज के समाज की यथार्थ परिस्थितियों को उकेरती हुई बहुत सुंदर कटाक्ष । बधाई आ.सोमेश जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 1, 2015 at 12:28pm

आदरणीय सोमेश भाई , आज कल की सफलता की कूंजी यही तो है ! बढिया कटाक्ष ! बधाइयाँ ।

Comment by somesh kumar on February 1, 2015 at 11:03am

शुक्रिया आप सभी के शब्द नई उर्जा प्रदान करते हैं पर इस उर्जा को सही दिशा देने वाले शब्दों की अभी भी प्रतीक्षा है 

Comment by ram shiromani pathak on February 1, 2015 at 10:34am
वाह भाई वाह चाटुकारिता पर बढ़िया व्यंग।।बधाई आपको

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 1, 2015 at 9:11am

इशारों इशारों में अच्छा कटाक्ष किया है आपने, अच्छी लघुकथा है

Comment by vijay on January 31, 2015 at 11:00pm
हा हा हा
बेहतरीन एक अच्छी रचना

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