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बन जाए मेरा भाई सूरज, सज जाए मेरी भी डोली

किरणें चित्र उकेरें अँगना, है प्रीत तेरी हमें बांधन निकली 
धरती का मैं लहंगा सिला लूँ, हरियाली की पहनूं चोली

अम्बर की बन जाए ओढ़नी, देखूं फिर नववर्ष रंगोली
तारों की मैं माला गूंथुं, चाँद बने बिंदिया की रोली

बने चांदनी मेरी मेहँदी, सज जाए मेरी भी हथेली
नेह झड़ी की आस लगाए, सुलगी जाए मरी दूब हठीली

सूरज को मैं बांधू राखी, फिर घोलूं किरणों की शोखी
बन जाए मेरा भाई सूरज, सज जाए मेरी भी डोली..... 

केसर रंग में मांग सजाऊं, देख घटा की अलक श्यामली
प्रेम रंग अनमोल पिया का, पहनूं चूड़ी लाल हरी और पीली              
शीतल मंद पवन सी डोले, नीले अम्बर की वो भूरी बदली
आँगन के तुलसी का बिरवा, झूम झूम के करे ठिठोली
मन वीणा ने तार बजाए, जब प्रेमप्रीत मेरी बनी सहेली
भोर किरण ने चूम के पलकें, सौगातों से भरी पोटली
बन जाए मेरा भाई सूरज, सज जाए मेरी भी डोली..... 

तू दीपक मैं बाती प्रियतम, बाँध पिटारी मैं तेरी हो ली
मैं नदिया तू सागर प्रियतम, दो नयनों से मैंने पी ली  
आतुर सी कोई श्यामल बदरी, यूं ही मुझको लगे है भोली 
रोप दिए है बिरवे दिल के, हमने देख के सौंधी माटी गीली
धुप गुनगुनी गाये बन्दन, प्रेम सुधा रस भर गई झोली
फिर क्या डरना अंधे जग से, जब ये जोगन तेरी हो ली
बन जाए मेरा भाई सूरज, सज जाए मेरी भी डोली...


मौलिक एवं अप्रकाशित ....  
सुनीता दोहरे 

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Comment by sunita dohare on January 29, 2015 at 2:30pm

लक्ष्मण रामानुज लडीवाला   आदरणीय, बहुत बहुत धन्यवाद !  सादर नमन !!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 29, 2015 at 12:12pm

तू दीपक मैं बाती प्रियतम, बाँध पिटारी मैं तेरी हो ली 
मैं नदिया तू सागर प्रियतम, दो नयनों से मैंने पी ली  
आतुर सी कोई श्यामल बदरी, यूं ही मुझको लगे है भोली  
रोप दिए है बिरवे दिल के, हमने देख के सौंधी माटी गीली -  देख के हमने सौंधी माटी गीली 
धुप गुनगुनी गाये बन्दन, प्रेम सुधा रस भर गई झोली 
फिर क्या डरना अंधे जग से, जब ये जोगन तेरी हो ली - वाह लाजवाब अभिलाषाएं, बेहतरीन रचना 
बन जाए मेरा भाई सूरज, सज जाए मेरी भी डोली... बहुत सुंदर  भाव रचित  कामनाएं की है  रचना के  माध्यम से - हार्दिक  बधाई 

Comment by sunita dohare on January 28, 2015 at 9:37pm

 डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव   आदरणीय, मेरी पोस्ट पर आपका आना मेरे लिए सौभाग्य की बात है ! आपका बहुत-बहुत धन्यवाद !  सादर नमस्कार !!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 28, 2015 at 8:31pm

खूबसूरत सपनो और कामनाओ से सजी  इस कविता के लिए  साधुवाद i सादर i

Comment by sunita dohare on January 28, 2015 at 8:25pm

 जितेन्द्र पस्टारिया आदरणीय  , बहुत बहुत धन्यवाद !  सादर नमस्कार !!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 28, 2015 at 12:29pm

रचना में बेहद सुंदर भाव, उभर कर आयें है आदरणीया सुनीता जी. प्रस्तुति पर बधाई आपको

Comment by sunita dohare on January 28, 2015 at 12:16pm

मिथिलेश वामनकर  आदरणीय  , बहुत बहुत धन्यवाद !  सादर नमन !!


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Comment by मिथिलेश वामनकर on January 27, 2015 at 11:45pm

सुन्दर प्रस्तुति, बधाई 

Comment by sunita dohare on January 27, 2015 at 7:51pm

 Hari Prakash Dubey  आदरणीय  , बहुत बहुत धन्यवाद !  सादर नमन !!

Comment by sunita dohare on January 27, 2015 at 7:50pm

Shyam Mathpal जी , बहुत बहुत धन्यवाद !  सादर नमन !!""

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