For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सोचता हूँ मैं ,तुम कौन हो ?

सोचता हूँ मैं ,तुम कौन हो ?

 

सखी हो ,ईश्वर हो,

तुम मेरा प्यार हो,

तुम मेरा संसार हो !

 

करुणा हो, दुलार हो,

प्रेम की पुकार हो ,

तुम जीवन-आधार हो !

 

जीवन हो, स्पन्दन हो,

साँसों का गुंजन हो ,

तुम मेरा चिंतन हो !

 

हिम्मत हो जोश हो,

शक्ति का श्रोत हो,

प्रेम से ओत-प्रोत हो !

 

गगन हो , सर्जन हो,

सृष्टी का वरदान हो,

तुम मेरा अभिमान हो !

 

सरल हो , सुबोध हो,

स्पष्टता का बोध हो,

जीवन का अनुरोध हो !

 

सर्दी की धूप हो,

गर्मी की छावं हो,

अपना वाला गाँव हो !

 

तुम मेरा मृदुभाव हो

तुम मेरा स्वभाव हो

तुम मेरा प्रभाव हो !

 

तुम मैं हूँ , मैं तुम हो !!

 

© हरि प्रकाश दुबे

"मौलिक व अप्रकाशित"

 

 

 

Views: 598

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 20, 2015 at 3:33pm

बहुत सुन्दर कथ्य और प्रवाह युक्त कविता पर ढेरों बधाईयाँ आदरणीय हरिप्रकाश जी.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 20, 2015 at 12:13pm

हरि प्रकाश जी

स्वयं को अनूठे ढंग से आपने रूपायित किया है i  आपको बधाई i

Comment by ajay sharma on January 19, 2015 at 10:58pm

wah wah wah aur kya kah sakta hoo .............


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 19, 2015 at 10:58pm
आदरणीय हरिप्रकाश दुबे जी बेहतरीन प्रस्तुति बधाई
Comment by Hari Prakash Dubey on January 19, 2015 at 9:28pm

आदरणीय डॉ विजय शंकर सर , रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया मिल जाती है तो लगता है आशीर्वाद मिल गया है !  सादर धन्यवाद ! 

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 19, 2015 at 9:21pm
सर्दी की धूप हो,
गर्मी की छावं हो,
अपना वाला गाँव हो !

सोचता हूँ , तुम कौन हो, बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति,
बधाई, आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service