For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - बोलिये किसको सुनायें.. // -- --सौरभ

2122 2122 2122 212

 

दिख रही निश्चिंत कितनी है अभी सोयी हुई  
गोद में ये खूबसूरत जिन्दगी सोयी हुई

बाँधती आग़ोश में है.. धुंध की भीनी महक
काश फिर से साथ हो वो भोर भी सोयी हुई

चाँद अलसाया निहारे जा रहा था प्यार से
मोगरे के फूल पर थी चाँदनी सोयी हुई

खेलता था मुक्त.. उच्छृंखल प्रवाही धार से
लौट वो आया लिये क्यों हर नदी सोयी हुई

बोलिये किसको सुनायें जागरण के मायने
पत्थरों के देस में है हर गली सोयी हुई

अब नहीं छिड़ता महाभारत कुटिल की चाल पर
अब लिये पासे स्वयं है द्रौपदी सोयी हुई

जा रहा है रोज सूरज पार सरयू के सदा
स्वर्णमृग की सोनहिरनी हो अभी सोयी हुई
========
--सौरभ
(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 1079

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by दिनेश कुमार on December 28, 2014 at 7:18pm
बहुत ही सशक्त रचना है आदरणीय सौरभ सर जी। ख़ास तौर पर मतला बेहद खूबसूरत है।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 28, 2014 at 6:37pm

आदरणीय हरिप्रकाशजी, रचना पर आपके अनुमोदन के लिए हार्दिक धन्यवाद.

Comment by Rahul Dangi Panchal on December 28, 2014 at 10:03am

चाँद अलसाया निहारे जा रहा था प्यार से
मोगरे के फूल पर थी चाँदनी सोयी हुई....... .. वाह वाह बहुत सुन्दर गजल आदरणीय


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 28, 2014 at 4:11am

आदरणीय विजय शंकरसाहब, प्रस्तुति पर आपकी उपस्थिति उत्साह का कारण होती है.

आपकी मुखर बधाइयों के लिए हार्दिक धन्यवाद.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 28, 2014 at 4:08am

आदरणीय गोपाल नारायनजी, आपकी शुभकामनाएँ मेरा संबल हैं. आपको ग़ज़ल रुचिकर लगी, यह मेरे लेखन का सौभाग्य है.
सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 28, 2014 at 4:08am

भाई वीनस, आपको एक अरसे बाद पटल की ग़ज़ल पर देखना सुखद अनुभूति है.

सहयोग देने केलिए धन्यवाद.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 28, 2014 at 4:08am

आदरणीय मिथिलेशजी, आपकी सदाशयता का मैं आभारी हूँ. हमसभी समवेत इस ज्ञान-गंगा में डुबकी लगा रहे हैं.
आपका सहयोग बना रहे.
शुभ-शुभ
‌‌‌‌‌‌‌


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 28, 2014 at 4:07am

भाई सोमेशजी, हर रचना अपने रचनाकार के पास चाहे जिस रूप में हो, पटल पर आते ही पाठक के अनुसार अपने आपको अभिव्यक्त करने लगती है. आपने जैसा समझा वैसा साझा किया, इस हेतु मेरे मन में आपके प्रति गंभीर भाव हैं. आपकी सतत संलग्नता आपकी पाठकीय दृष्टि को सदिश करती जायेगी इसका हमें भान है.
आपने रचना को समय दिया तथा अपनी भावनाओं को आपने साझा किया इस हेतु धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ.  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 28, 2014 at 4:07am

भाई शिज्जूजी, अपनी रचनाओं पर आपके अनुमोदन का सदा से आकांक्षी रहा हूँ.
हार्दिक धन्यवाद.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 27, 2014 at 9:18pm

आदरणीय सौरभ भाई , बहुत कठिन रदीफ़ तय किया आपने आदरणीय और उतनी ही खूबसूरती से निभा भी लिया है , वाह ! बहुत सुन्दर ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाइयाँ स्वीकार  करें । 


बोलिये किसको सुनायें जागरण के मायने
पत्थरों के देस में है हर गली सोयी हुई
अब नहीं छिड़ता महाभारत कुटिल की चाल पर
अब लिये पासे स्वयं है द्रौपदी सोयी हुई                ---- लाजवाब , ढेरों बधाइयाँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service