For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यूँ तो 17 बरस की उमर मेँ भी वो बड़ी भोली थी। उसकी हर बात मेँ अभी भी बचपना-सा था।
उसकी बातेँ कभी मुझे माता की गोद के समान आनन्दित कर देती तो कभी उसकी ज़िद खीझ उत्पन्न कर अपना गुस्सा उस पर उतार देने को विवश। अक्सर ही मैँ उसे कहता- "न जाने तुम कब बड़ी होओगी ?"
और वो मुस्कुरा कर कहती- "मै नही सुधरने वाली।"

आज पूरे दो साल बाद मैँ उससे मिलने वाला हूँ। जाने वो कैसी दिखती होगी? मुझे देखते ही मुझे मारने दौड़ पड़ेगी। खूब शिकायतेँ करेगी और भी न जाने क्या-क्या पूर्वानुमान लिए मैँ उससे मिलने पहुँचा।

उससे मिलकर मुझे महसूस हुआ, उसके व्यवहार मेँ वो चपलता न थी। बातोँ मेँ वो स्फूर्ति न थी। बातोँ मेँ विनोद का स्थान, गंभीरता और अदब ने ले लिया था।
"क्या ये सच मेँ वही है?"
"हाँ, है तो वही।"
पर अब शंका का निवारण आवश्यक था।
मैँने कह ही दिया- "तुम इतना बदल जाओगी, मुझे आशा न थी।"
उसका जवाब सुनकर मैँ निरूत्तर हो गया-
"बचपने से जिंदगी नही कटती समझदार तो होना ही पड़ता है।"

"पूजा"
"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Views: 494

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by pooja yadav on December 9, 2014 at 8:34pm
आप सभी आदरणीय लेखकगणोँ कि मेरी रचना पर उपस्थिति के लिए मैँ दिल से आभारी हूँ।
आपकी टिप्पणियोँ और मार्गदर्शन से मुझे उत्साहवर्धन के साथ-साथ लिखने की प्रेरणा भी मिलती है, उसके लिए आप सब का कोटि-कोटि धन्यवाद।
आदरणीय "बागी" जी आपके परिवर्तन के बाद रचना और भी सुन्दर हो गई है यदि आप अनुमति देँ तो क्या मैँ अन्तिम पंक्ति अपनी लघुकथा मेँ जोड़ सकती हूँ?

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on December 9, 2014 at 11:43am

बागी जी द्वारा पोलिश करने के बाद लघुकथा में और निखार आया है, जिस से पूजा यादव जी बहुत कुछ सीख सकती हैं।

Comment by somesh kumar on December 9, 2014 at 10:21am

एक उम्र आने के बाद 

एक सफ़र बीत जाने के बाद 

अहसासों का बदलना जरूरी होता है 

नदी को समंदर बनना होता है |

सुंदर लघुकथा और बागी जी के मार्गदर्शन से इसकी सार्थकता का पता चलता है 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 7, 2014 at 9:08pm

पूजा जी

यह आपके  content की सफलता है कि बागी जी को इसे re-write करने हेतु बाध्य होना पड़ा i पर शिल्प का वैभव आते आते ही आता है  i बागी जी से सदैव कुछ सीखते रहना है i यह सच है कि लडकियों में यह औचक परिवर्तन विवाह के बाद ही आता है i


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 7, 2014 at 6:25pm

आदरणीया पूजा जी, यदि यह कथा मैने लिखी होती तो तनिक परिवर्तन के साथ यूँ होती..................

यूँ तो 17 बरस की उमर मेँ भी वो बड़ी भोली थी। उसकी हर बात मेँ अभी भी बचपना था।
उसकी बातेँ कभी मुझे माता की गोद के समान आनन्दित कर देती तो कभी उसकी ज़िद खीझ उत्पन्न कर अपना गुस्सा उस पर उतार देने को विवश। अक्सर ही मैँ उसे कहता- "न जाने तुम कब बड़ी होओगी ?"
और वो मुस्कुरा कर कहती- "मै नही सुधरने वाली।"

आज पूरे दो साल बाद मैँ उससे मिलने वाला हूँ। जाने वो कैसी दिखती होगी? मुझे देखते ही मुझे मारने दौड़ पड़ेगी। खूब शिकायतेँ करेगी और भी न जाने क्या-क्या पूर्वानुमान लिए मैँ उससे मिलने पहुँचा।

उससे मिलकर मुझे महसूस हुआ, उसके व्यवहार मेँ वो चपलता न थी। बातोँ मेँ वो स्फूर्ति न थी। बातोँ मेँ विनोद का स्थान, गंभीरता और अदब ने ले लिया था।
"क्या ये सच मेँ वही है?"
"हाँ, है तो वही।"
पर अब शंका का निवारण आवश्यक था।
मैँने कह ही दिया- "तुम इतना बदल जाओगी, मुझे आशा न थी।"
उसका जवाब सुनकर मैँ निरूत्तर हो गया-
"बचपने से जिंदगी नही कटती समझदार तो होना ही पड़ता है।"

"भईया, अब मैं ससुराल में हूँ।"

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 7, 2014 at 1:50pm

"बचपने से जिंदगी नही कटती समझदार तो होना ही पड़ता है।"

---------- क्या पंच लाइन है ? बहुत ही सुन्दर , जीवन सत्य को व्यक्त करती कथा i लड़कियों में तो यह खास दीखता है , वह अचानक ही बदल कर अतिशय जिम्मेदार और गंभीर हो जाती है i इस कथा के लिये बधाई i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service