For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

“जलते सूरज से टकराओ”

तपते सूरज से

पिघल रही है बर्फ

बढ़ रहा है जलस्तर

तुम फिर डूबोगे

किसी मनु को खोजोगे

वह नहीं आयेगा

फिर कौन तुम्हे बचायेगा

प्रलय हो जायेगी

इस बार तुम्हें बचाने

कोई नाव नहीं आएगी

तुम पानी हो जाओगे

पर तुम्हे उठाना होगा

वाष्प बनकर उड़ना होगा

उठो बादल बन जाओ

इस जलते सूरज से टकराओ

इस बर्फ को पिघलने से

अगर तुम बचा पाओगे

तो स्वयं मनु बन जाओगे !!

("मौलिक व अप्रकाशित")

Views: 577

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 10, 2014 at 4:48am

आ. हरि भाई , बढिया कविता हुई है , आपको बधाइयाँ ।

Comment by ram shiromani pathak on November 9, 2014 at 2:08pm

ज़ोरदार कहन आदरणीय   //हार्दिक बधाई आपको 

Comment by Hari Prakash Dubey on November 8, 2014 at 10:26pm

प्रोत्साहन के लिए आपका हार्दिक आभार छाया शुक्ला जी !

Comment by Chhaya Shukla on November 8, 2014 at 9:19pm

आपकी शैली प्रभावित कर गई बहुत बधाई शानदार श्रृजन के लिए सादर !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on November 7, 2014 at 11:10pm
सुन्दर भावों से सजी इस रचना के लिये बधाई आदरणीय.......

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 7, 2014 at 11:09pm

आदरणीय हरि प्रसाद जी, संभवतः आपकी कोई पहली रचना पढ़ रहा हूँ. अन्य रचनाओं की प्रतीक्षा रहेगी. शुभकामनाएँ स्वीकारें. शुभेच्छाएँ

Comment by Hari Prakash Dubey on November 7, 2014 at 8:49pm
आपकी आत्मीय प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार श्री सुनील जी
Comment by shree suneel on November 7, 2014 at 8:27pm
Bahut khoob!
Tum paani ho jaoge/
par tumhe uthna hoga/
utho badal ban jaao/
is jalte sooraj se takrao..

..achchhi rachana
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 7, 2014 at 7:01pm

सुन्दर् भाव  i अच्छी कविता i


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 7, 2014 at 12:17pm
//इस जलते सूरज से टकराओ
इस बर्फ को पिघलने से
अगर तुम बचा पाओगे
तो स्वयं मनु बन जाओगे !!//
अति सुन्दर आ० हरी प्रकाश दुबे जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
14 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Dharmendra Kumar Yadav's blog post ममता का मर्म
"बंधु, नमस्कार, रचना का स्वरूप जान कर ही काव्य का मूल्यांकन , भाव-शिल्प की दृष्टिकोण से सम्भव है,…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"अच्छे दोहे हुए हैं, आदरणीय सरना साहब, बधाई ! किन्तु दोहा-छंद मात्र कलों ( त्रिकल द्विकल आदि का…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service