For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जानकीप्रसाद जी सेवानिवृत्ति के पश्चात कई वर्षों से अपनी पत्नि के साथ, बड़े प्यार से अपना बचा हुआ जीवन व्यतीत कर रहे है. दीपावली के आते ही घर में रंगरोगन का काम शुरू होने वाला है. जानकीप्रसाद जी ने अपने पडौसी से कहकर, दीवारों पर रंग करने के लिए एक पुताई वाले को बुलवाया है. उस पुताई वाले  नौजवान को देख अकेले रह रहे बुजुर्ग दंपति बहुत खुश है. क्युकी दो-तीन दिनों के लिए एक मेहमान आया है

 

“बेटा! तुम्हारा क्या नाम है..? “ जानकीप्रसाद जी ने बड़े ही स्नेह से पूछा

 

प्रश्न के सुनते ही नौजवान के चेहरे पर संकोच की कई लकीरें थी, जो जानकीप्रसाद को अपनी उम्र के अनुभव व् बुजुर्ग कमजोर आँखों से भी स्पष्ट दिखाई दे रही थी. फिर भी धीमें स्वर में नौजवान ने कहा..

 

“ जी,  मोहम्मद अयाज “

 

“ अरे..बेटा! बड़ा प्यारा नाम है तुम्हारा, इतना संकोच क्यों कर रहे थे अपना नाम बताने में. अगर तुम अपने नाम से धर्म की स्पष्टता से डर रहे थे तो बेटा सुनो..तुम्हारी उम्र का मेरा भी बेटा है जिसका नाम श्रवण है, यहीं इसी शहर में हमसे अलग रहता है अपनी पत्नी के साथ “ जानकीप्रसाद जी की आवाज में एक पिता का आत्मबल व् एक बरगद के पेड़ की घनी गहरी छाँव भी थी

 

 

         जितेन्द्र ‘गीत’

   (मौलिक व् अप्रकाशित)   

Views: 759

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 11, 2014 at 9:22am

आपका हार्दिक आभार आदरणीय सोमेश जी

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 11, 2014 at 9:22am

आपका ह्रदय से आभार ,आदरणीय राम भाई

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 11, 2014 at 9:21am

आपका हार्दिक आभार,आदरणीय खुर्शीद साहब

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 11, 2014 at 9:20am

आपके उत्साहवर्धन हेतु आपका ह्रदय से आभारी हूँ आदरणीय गिरिराज जी. स्नेह बनाए रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 11, 2014 at 9:19am

आपका ह्रदय से आभारी हूँ आदरणीय विजय जी. स्नेह बनाए रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 11, 2014 at 9:18am

आदरणीया डा.प्राची जी, आपकी बधाई शिरोधार्य है. लघुकथा पर आपकी उपस्थिति से बहुत मनोबल मिला. मैं मानता हूँ संवेदनशील विषय की इस लघुकथा में कसावट की कमी रह गयी है. भविष्य में सुधार की पूर्ण कोशिश करूँगा, अपना स्नेह व् मार्गदर्शन बनाए रखियेगा

सादर!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 11, 2014 at 9:07am

आ. जीतेन्द्र भाई , बहुत सुन्दर विषय उठाया है आपने , आज बहुत से परिवारों की यही हालत है । कथा के लिये बधाई स्वीकारें ।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 11, 2014 at 8:53am

आदरणीय योगराज जी. सादर नमन

क्षमाप्रार्थी हूँ, कहीं कोई अन्य कारण नही. बस काम की व्यस्तता और जल्दबाजी में ही खोया हुआ होश है. भविष्य में इन बातों का विशेष ध्यान रखूँगा

आपका स्नेह व् मार्गदर्शन बनाए रखियेगा


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 10, 2014 at 10:34pm

संवेदनशील विषयवस्तु.

पर प्रस्तुति निश्चय ही और कसावट मांगती है 

प्रस्तुति पर बधाई 

Comment by vijay nikore on November 10, 2014 at 4:30pm

लघुकथा में सामयिक विषय पर सुन्दर चयन। बधाई, आ० जितेन्द्र जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
6 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
10 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
12 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
15 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
15 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
16 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
16 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
16 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
17 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service