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चलो मयकदे मेँ जमाने मेँ क्या हैँ ।
अगर लुत्फ है तो उठाने मेँ क्या है ।

न पाया जमाने मेँ कुछ भी रहकर ,
अब मयकदा आजमाने मेँ क्या है ।

भर जायेगी जब पैमानोँ मेँ मय ,
फिर उसको पीने पिलाने मेँ क्या है ।

खुदा का तसव्वुर जब हर जगह है ,
फिर सर यहाँ भी झुकाने मेँ क्या है ।

जब राज दिल के सब खुल गये होँ ,
परदा नजर का गिराने मे क्या है ।

न इन्सान समझे जब दिल की कीमत ,
दिल मयकशी से लगाने मेँ क्या है ।

सिवा तेरे तू ही बता मेरे दिलबर ,
इस जिन्दगी के फसाने मेँ क्या है ।

अगर चाहिये जिन्दगी को बहाना ,
कि इस खूबसूरत बहाने मेँ क्या है ।

मौलिक व अप्रकाशित
नीरज मिश्रा

Views: 802

Comment

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Comment by Neeraj Nishchal on September 19, 2014 at 3:01pm

आदरणीय हरिबल्लभ जी बहुत बहुत धन्यवाद | 

Comment by Neeraj Nishchal on September 19, 2014 at 2:59pm

आदरणीय खुर्शीद जी बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by Neeraj Nishchal on September 19, 2014 at 2:58pm

आदरणीय गोपाल नारायण जी बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Neeraj Nishchal on September 19, 2014 at 2:56pm

आदरणीय गुमनाम जी बहुत बहुत आभार 

Comment by Neeraj Nishchal on September 19, 2014 at 2:54pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आपका बहुत बहुत आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 17, 2014 at 3:24pm

हमने देखे  २१२२ / हैँ तुम्ही मेँ २१२२ / अपने दोनो २१२२ / ही जहाँ २१२

आदरणीय नीरज भाई , इस मिसरे की तक्तीअ  , २१२२  २१२२ २१२२  २१२  होगी , जो एक मान्य  बहर है | आपने भी सही तक्तीअ की है |

Comment by Neeraj Nishchal on September 17, 2014 at 3:07pm
हमने देखे हैँ तुम्ही मेँ अपने
2 1 2 2 2 1 2 2 2 2
दोनो ही जहाँ
2 2 2 1 2

आदरणीय भण्डारी वो जो आपने कहा मेरी समझ मेँ आ गया आपका सह्रदय आभार आप आप इस पंक्ति मे मैने जो वजन दिया है उसपर मार्गदर्शन करने की कृपा करेँ ।
Comment by Neeraj Nishchal on September 17, 2014 at 3:06pm
हमने देखे हैँ तुम्ही मेँ अपने
2 1 2 2 2 1 2 2 2 2
दोनो ही जहाँ
2 2 2 1 2

आदरणीय भण्डारी वो जो आपने कहा मेरी समझ मेँ आ गया आपका सह्रदय आभार आप आप इस पंक्ति मे मैने जो वजन दिया है उसपर मार्गदर्शन करने की कृपा करेँ ।
Comment by Neeraj Nishchal on September 17, 2014 at 3:06pm
हमने देखे हैँ तुम्ही मेँ अपने
2 1 2 2 2 1 2 2 2 2
दोनो ही जहाँ
2 2 2 1 2

आदरणीय भण्डारी वो जो आपने कहा मेरी समझ मेँ आ गया आपका सह्रदय आभार आप आप इस पंक्ति मे मैने जो वजन दिया है उसपर मार्गदर्शन करने की कृपा करेँ ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 17, 2014 at 12:48pm

आदरणीय नीरज भाई , ' मैं ' का मूल वजन २  होता है , लेकिन आपके जो शे र उदाहरण स्वरुप लिखा है  , उसमे मैं  की मत्रा गिराई गयी है , और १ मात्रा ली गयी है , जो नियमानुसार सही है --

मैं खुद से १२२  / कभी ये  १२२ /सिफारिश १२२ / करूंगा १२२ /

तुम्हें भू १२२ / लने की १२२ / गुजारिश १२२ / करूंगा १२२ 
 

आपकी ग़ज़ल में  ---  भर , फिर , अब , जब , पर्दा ( २२ ) , दिल , और इस  , ये सभी  २ मात्रा वाले शब्द हैं  , इन्हें गिरा कर १ मात्रा नहीं किया जा सकता  , इन्ही के कारण मिसरे बे बहर हो रहे हैं |

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