For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कविता गीत ग़ज़ल रूबाई।

सबने माँ की महिमा गाई।।

जल सा है माँ का मन निर्मल

जलसा है माँ से घर हर पल

हर रँग में रँग जाती है माँ

जल से बन जाता ज्‍यों शतदल

माँ गंगाजल, माँ तुलसीदल

माँ गुलाबजल, माँ है संदल

जल-थल-नभ, क्‍या गहरी खाई।

माँ की कभी नहीं हद पाई।

कविता गीत----------------

माँ फूलों की बगिया जैसी

रंगों में केसरिया जैसी

माँ भोजन में दलिया जैसी

माँ गीतों में रसिया जैसी

माँ वीरा, माँ धी, माँ बहना

माँ अनमोल जड़ी, माँ गहना।

रूप स्‍वरूप धरे जब-जब भी

दूध दही मक्‍खन सी पाई।

कविता गीत-------------------

(मौलिक व अप्रकाशित)

 

Views: 914

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Gopal Krishna Bhatt 'Aakul' on September 3, 2014 at 9:01am

प्रणाम। सभी का बहुत बहुत आभार। 

Comment by shashi purwar on August 24, 2014 at 6:45pm

बहुत   सुन्दर भाव  माँ के लिए हर शब्द भाव कम पड़ता है , बहुत सुन्दर रचना है हार्दिक बधाई

Comment by Meena Pathak on August 23, 2014 at 1:52pm

बहुत सुन्दर ..माँ के लिए लिखी गई रचना हेतु सादर बधाई 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 23, 2014 at 12:13am

माँ की शान में  कही गई रचना पर आपको बहुत बहुत बधाई आदरणीय डा. गोपाल जी.

Comment by Dr. Gopal Krishna Bhatt 'Aakul' on August 22, 2014 at 9:16pm

सभी पाठकगणों व विद्वान् साथियों को आभार। अभिव्‍यक्ति के लिए सुंदर मंच मिला है।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 22, 2014 at 8:28pm

माँ की शान में लिखी रचना हृदय को छूती है बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...हार्दिक बधाई आपको आ० डॉ.गोपाल कृष्ण जी| 

Comment by Pawan Kumar on August 22, 2014 at 4:24pm

प्रणाम सर, 
माँ की ममता को शब्दो में वर्णित करना अतना आसान नही है लेकिन आपने माँ के व्यक्तित्व को इतने सुन्दर शब्दो में पिरोया है ....बहुत ही सुन्दर ....सत् सत् नमन् .... सादर बधाई

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 22, 2014 at 11:19am

माँ भोजन में दलिया जैसी

माँ गीतों में रसिया जैसी

माँ वीरा, माँ धी, माँ बहना

माँ अनमोल जड़ी, माँ गहना।

आदरणीय भाई  गोपाल किशन जी इन खूबसरत पक्तियों के लिए कोटि कोटि बधाई ।

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 21, 2014 at 8:21pm

प्रथम अनुच्छेद में 'जल' शब्द का सुन्दर प्रयोग आकर्षित करता है,  दूसरा अनुच्छेद भी ह्रदय ग्राही है ...वैसे माँ के जितने भी गुण गए जाएँ कम है ...पर दुर्भाग्य है माँ बननेवाली बालिका, महिला का सम्मान दिनोदिन कम होता जा रहा है ..सादर बधाई सुन्दर प्रस्तुति के लिए...श्री गोपाल कृष्ण जी ...

Comment by Shyam Narain Verma on August 21, 2014 at 3:57pm
" सुंदर रचना के लिए बहुत बधाई सादर............. "

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
8 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
8 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
8 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
9 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
14 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service