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ग़ज़ल- लोगों को ईद पर खुशी होगी।

चाँद की आँख में नमी होगी

लोगों को ईद पर खुशी होगी

 

चाँद हर रोज देखता है तुम्हें,

आपकी आज बेबसी  होगी

 

जिंदगी रोज खून से लथपथ,

आज कैसे ये जिंदगी होगी

 

गर्दनें काट कर दिखाते हो,

क्या खुशी फिर भी ईद की होगी

 

अन्ध-विश्वास से लडाई है,

अब लडाई ये रोकनी होगी 

 

छोड दो अपना-अपना कहना उसे,

इस तरह खत्म दुश्मनी होगी

 

आज इनसानियत है खतरे में,

क्या वजह है ये सोचनी होगी

 

इस तरफ ओट करके बैठे हो,

इस तरफ कैसे रोशनी होगी

 

छोड दो अपना कहना दुनिया को,

सारी दुनिया फिर आपकी होगी ।

………….सूबे सिंह सुजान..29.07.2014...

मौलिक व अप्रकाशित

 

 

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 30, 2014 at 9:24pm

आज इनसानियत है खतरे में,

क्या वजह है ये सोचनी होगी-----सुन्दर शेर 

आ० गिरिराज जी की बात पर गौर करें कुछ शेर और स्पष्टता चाहते हैं बहरहाल आपको बधाई 

 

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 30, 2014 at 5:31pm

बहुत खुबसूरत गजल ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,बधाई आपको

Comment by savitamishra on July 30, 2014 at 3:42pm

ख़ूबसूरत ग़ज़ल

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 30, 2014 at 1:52pm

आदरणीय 

ईद पर इस गजल का स्वागत करता  हूँ i भंडारी जी ने सारी बात कह दी है i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 30, 2014 at 1:44pm

गर्दनें काट कर दिखाते हो,

क्या खुशी फिर भी ईद की होगी

आज इनसानियत है खतरे में,

क्या वजह है ये सोचनी होगी  -------------- आ. सूबे सिंह भाई , अच्छी ग़ज़ल और इन दो अशार के ल्लिये आपको बधाइयां |

इन दो अशआर  में आप जो कहना चाह रहे हैं वो शायद नहीं कहा पाए हैं , एक बार सोच के देखिएगा

अन्ध-विश्वास से लडाई है,

अब लडाई ये रोकनी होगी 

इस तरफ ओट करके बैठे हो,

इस तरफ कैसे रोशनी होगी

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 30, 2014 at 11:24am

aadarneeey sujan jee ..ईद के माध्यम से आपने लोकोपकारी सन्देश दिया है इसके लिए तहे दिल बधाई सादर 

Comment by सूबे सिंह सुजान on July 29, 2014 at 11:55pm

जितेन्द्र ी, बहुत बहुत सहयोग के लिये धन्यवाद

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 29, 2014 at 11:24pm

बहुत खुबसूरत गजल आदरणीय सूबे सिंह जी, हार्दिक बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

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