For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहेलिया और जंगल में आग .. :नीरज

जब जब जागी उम्मीदें ,

अरमानों ने पसारे पंख.

देखा बहेलियों का झुंड, 

आसपास ही मंडराते हुए,

समेट  लिया खुद को

झुरमुटों के पीछे.

अँधेरा ही भाग्य बना रहा.

हमारे ही लोग,

हमारे जैसे शक्लों वाले,

हमारे ही जैसे विश्वास वाले,

करते रहे बहेलियों का गुण गान.

उन्हें बताते रहे हमारी कमजोरियों के बारे में

बहेलिये भी हराए जा सकते हैं.

कभी सोचा ही नहीं .

उनकी शक्ति प्रतीत होती थी अमोघ.

जंगल में लगी आग में देखा

बहेलिये को भयाक्रांत

जान बचाकर भागते हुए

बहेलिया भी डरता है,

वह हराया जा सकता है.. 

उठा लिया एक लुआठी.

सबने कहा यह गलत है..

बहेलिये को डराना है अनैतिक.

हम हैं इतने ज्यादा , बहेलिये इतने कम

पर धीरे धीरे जमा होने लगे सभी

बन गयी एक लम्बी श्रृंखला लुआठियों की

भयमुक्त जीना

अपनी संततियों के सुखद भविष्य देखना

अच्छा लगता है .   

अच्छे दिन आ गए.

 

….

नीरज कुमार नीर

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 853

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Neer on June 1, 2014 at 11:29am

आदरणीय श्याम नारायण वेरमा साहब हार्दिक आभार..

Comment by Neeraj Neer on June 1, 2014 at 11:26am

आदरणीय गोपाल नारायण श्रीवास्तव साहब सराहना एवं प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद ..

Comment by Vindu Babu on May 27, 2014 at 11:19pm

अच्छे दिन आ गये :) :)

सटीक अभिव्यकि की है आपने।

हार्दिकशुभकामनायें आपको।

साद्र


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 27, 2014 at 9:38pm

अच्छे दिनों की इन्तजार तो सभी को रहती है ...अच्छी रचना ..बधाई आपको 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 27, 2014 at 9:16pm

आदरणीय नीरज भाई , सुन्दर , प्रेरक , उत्साह वर्धक रचना के लिये आपको बधाइयाँ ।

Comment by बृजेश नीरज on May 27, 2014 at 7:39pm

अच्छी रचना है! अच्छे दिनों की उम्मीद सबको है! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by Meena Pathak on May 27, 2014 at 4:14pm

अच्छा लगता है .   

अच्छे दिन आ गए....................///

बहुत सुन्दर  ,, बधाई 

 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 26, 2014 at 9:24pm

जंगल में लगी आग में देखा
बहेलिये को भयाक्रांत
जान बचाकर भागते हुए
बहेलिया भी डरता है,
वह हराया जा सकता है..
समयानुकूल उत्तम प्रस्तुति!

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 26, 2014 at 3:40pm

नीरज जी ..बहुत ही सुंदर बिचार ..वाकई कमाल की रचना ..नव चेतना का संचार करती इस रचना के लिए सादर बधाई

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 26, 2014 at 3:07pm

जंगल में लगी आग में देखा

बहेलिये को भयाक्रांत

जान बचाकर भागते हुए

बहेलिया भी डरता है,

वह हराया जा सकता है.. 

सुन्दर रचना और अच्छा सन्देश ...जोश हो धैर्य हो तो कुछ भी हो सकता है
भ्रमर ५

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
9 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Dharmendra Kumar Yadav's blog post ममता का मर्म
"बंधु, नमस्कार, रचना का स्वरूप जान कर ही काव्य का मूल्यांकन , भाव-शिल्प की दृष्टिकोण से सम्भव है,…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"अच्छे दोहे हुए हैं, आदरणीय सरना साहब, बधाई ! किन्तु दोहा-छंद मात्र कलों ( त्रिकल द्विकल आदि का…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service