For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किसी मासूम की बेचारगी आवाज़ देती है

किसी मासूम की बेचारगी आवाज़ देती है

मुझे मजबूर होटों की हँसी आवाज़ देती है

 

कोई हंगामा कर डाले न मेरी लफ्ज़े-ख़ामोशी

मेरी बहनों की मुझको बेबसी आवाज़ देती है

 

तुम्हारे वास्ते वो रेत का ज़रिया सही, लेकिन

कभी जाकर सुनो, कैसी नदी आवाज़ देती है

 

मेरे हमराह चलकर ग़म के सहरा में तू क्यों तड़पे

तुझे ऐ ज़िन्दगी, तेरी ख़ुशी आवाज़ देती है

 

मैंने क़िस्मत बना डाली है अपनी बदनसीबी को

मगर, तुमको तुम्हारी ज़िन्दगी आवाज़ देती है

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 598

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on May 19, 2014 at 6:14pm

बड़ी खूबसूरत ग़ज़ल कही है सुशील जी। हर शे’र शानदार है। दिली दाद कुबूल कीजिए।

Comment by Madan Mohan saxena on May 19, 2014 at 4:52pm

सुन्दर ..

Comment by Shyam Narain Verma on May 19, 2014 at 3:55pm
अच्छी प्रस्तुति आदरणीय ,बधाई .........
Comment by Ram Awadh VIshwakarma on May 19, 2014 at 2:55pm

dqN  yksx  ekurs  gh  ugha  lafo/kku  vc]

[krjs  es  iM+ xbZ gS  dcwrj dh tku  vcA

 

taxy  dh  jktuhfr  esa  iaNh HkVd  x;s]

daBh  igu  ds  cu x;s cxqys egku  vcA

 

Nrjh le> jgs Fks ftls lj  is vkt  rd ]

cjlk  jgk  gS fctfy;k¡ oks vkleku  vcA

 

djus yxs gSa efUnjks vkS efLtn is ge cgl]

vkys  esa  j[k  ds  nksLrks  xhrk dqjku vcA

 

viuh  xyh  esa  bl rjg foLQksV gks x;k ]

fgyus  yxs  gSa  uho  ls iDds edku vcA

 

lw[ks  dk  jksx yx  x;k ihiy ds isM+ esa]

gS  jkt  oS|  is  ugha  dksbZ  funku vcA

 

Mj  gS  dgha fd nksLrks QV tk; u pknj ]

vkil  esa  gks jgh gS cgqr [khp&rku vcA

 

 

 

 

 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 19, 2014 at 10:41am

कोई हंगामा कर डाले न मेरी लफ्ज़े-ख़ामोशी

मेरी बहनों की मुझको बेबसी आवाज़ देती है...क्या कशिश है

 

तुम्हारे वास्ते वो रेत का ज़रिया सही, लेकिन

कभी जाकर सुनो, कैसी नदी आवाज़ देती है........गजब की रूमनिय्त भरा ख़याल है

बहुत बहुत बधाई आदरणीय सुनील भाई

Comment by Meena Pathak on May 19, 2014 at 8:09am

बहुत बहुत सुन्दर .. सादर बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service