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उठो हे स्त्री !
पोंछ लो अपने अश्रु
कमजोर नही तुम
जननी हो श्रृष्टि की
प्रकृति और दुर्गा भी, 
काली बन हुंकार भरो
नाश करो!
उन महिसासुरों का
गर्भ में मिटाते हैं
जो आस्तित्व तुम्हारा, 
संहार करो उनका जो
करते हैं दामन तुम्हारा
तार-तार,
करो प्रहार उन पर
झोंक देते हैं जो
तुम्हें जिन्दा ही
दहेज की ज्वाला में,
उठो जागो !
जो अब भी ना जागी
तो मिटा दी जाओगी और
सदैव के लिए इतिहास
बन कर रह जाओगी !!

मीना पाठक 
मौलिक/अप्रकाशित 

Views: 590

Comment

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Comment by Satyanarayan Singh on May 23, 2014 at 5:29pm

इस प्रयास हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 23, 2014 at 11:29am

नारी पर होते अत्याचारों के विरुद्ध आक्रोश में लिखी गयी रचना.......पर अंत से मैं भी सहमत नहीं हूँ.... नारी इतिहास बनी तो सारी सभ्यताएं नष्ट हो जाएँगी. 

तर्क की कसौटी परभी रचनाएं सार्थक हों ऐसा प्रयास ही रहना चाहिए 

Comment by Meena Pathak on May 18, 2014 at 6:41pm

आदरणीय श्याम नारायण जी, आदरणीया अन्नपूर्णा जी, प्रिय जितेन्द्र जी, आदरणीय शिज्जू जी आप सभी का तहेदिल से आभार | सादर 

Comment by Meena Pathak on May 18, 2014 at 6:38pm

आदरणीय सौरभ सर , इन पक्तियों को मैंने उन माओं के लिए लिखा है  जो दबाव या किसी मजबूरी में अपने गर्भ में पल रही बेटियों को ना जन्मने के लिए मजबूर हो जाती है बस् ... यही बात मेरे दिल में थी लिखते समय 

आप के मार्गदर्शन में सीख रही हूँ सर ...रचनाकर्म में अभी बहुत खामियां है ..धीरे धीरे दूर करने का प्रयास कर सही हूँ ..आप की मार्गदर्शन रुपी टिप्पणी के लिए हृदय से आभार ..सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 15, 2014 at 1:10am

आदरणीया, उत्साह या आवेश में मुट्ठियाँ बाँधना एक बात है और रचनाकर्म ठीक दूसरी बात. ..:-))

स्ब कुछ सही है लेकिन स्त्रीयाँ न होंगी तो हमसब न होंगे.. अतः 

उठो जागो !
जो अब भी ना जागी
तो मिटा दी जाओगी और
सदैव के लिए इतिहास
बन कर रह जाओगी ... का क्या औचित्य ..?!..

बहरहाल, रचना प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाइयाँ.
सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 8, 2014 at 10:52pm

बहुत खूब लाजवाब आदरणीया मीना जी दिलीदाद हाज़िर है

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 3, 2014 at 12:13am

बहुत प्रभावशाली रचना , आदरणीया मीना दीदी हार्दिक बधाई स्वीकारें

Comment by annapurna bajpai on May 2, 2014 at 11:48pm

नारी को जागृत करती सुंदर रचना,  आ0 मीना दी बहुत बधाई । 

Comment by Shyam Narain Verma on May 2, 2014 at 4:34pm
बहुत  ही सुन्दर भावात्मक प्रस्तुति .. बधाई 
Comment by Meena Pathak on May 2, 2014 at 12:22pm

आभार स्वीकारें आ० अरुन जी 

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