For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रतीक्षा -- ( लघुकथा )

आज कल्पवास के आखरी दिन भी वो रोज की तरह पेड़ के नीचे बैठ चारो तरफ नजरें घुमा-घुमा कर किसी को ढूंड रही है जैसे किसी के आने की प्रतीक्षा हो उसे, पूरा दिन निकल गया शाम होने को है, सूर्य की प्रखर किरणें मद्धम पड़ चुकी हैं, पंक्षी अपने-अपने घोसलों में पहुँच गये हैं, बस् कुछ देर में ही दिन पूरी तरह रात्रि के आँचल में समा जाएगा पर अभी तक वो नही दिखा जिसका बर्षों से वो प्रतीक्षा कर रही है |
“वर्षों पहले इसी कुम्भ में कल्पवास के लिए छोड़ गया था ये कह कर की कल्पवास समाप्त होने पर आ के ले जाऊँगा पर आज भी नही आया..शायद अगले कल्पवास में उसे माँ की याद आ जाये..पर तब तक शायद मै ही ना रहूँ” कहते हुए उसकी आवाज काँप गई अपनी झुकी हुयी कमर के साथ किसी तरह अपनी लाठी के सहारे चलती हुई वो रात्रि के अंधेरे में विलीन हो गई |

मीना पाठक
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 741

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Meena Pathak on June 7, 2014 at 9:20pm

आदरणीय शिज्जू जी आदरणीय सत्यनारायण जी .. बहुत बहुत आभार आप दोनों का | सादर 

Comment by Meena Pathak on June 7, 2014 at 9:19pm

जी आदरणीय कुशवाहा सर .................सादर आभार 

Comment by Satyanarayan Singh on May 9, 2014 at 4:36pm

 मर्मस्पर्शी सत्य व्यक्त करती लघु कथा पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया मीना पाठक जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 8, 2014 at 11:01pm

पता नहीं बच्चों का दिल इतना कठोर कैसे हो जाता है, हृदयस्पर्शी लघुकथा बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 7, 2014 at 10:35pm

आदरणीया मीना जी 

सादर 

ऐसे कितने माता पिता हैं जो अपना सर्वस्व देने के उपरान्त भी आज तक प्रतीक्षा रत हैं. शायद ..?

हमारा कर्तव्य है कि हम इनके बीच जाएँ. ठीक है न. 

बधाई. 

Comment by Meena Pathak on May 7, 2014 at 10:19pm

प्रिय विन्दु बहुत बहुत आभार | सस्नेह 

Comment by Meena Pathak on May 7, 2014 at 10:19pm

आदरणीया प्राची जी, रचना पर आप की उपस्थिति और सराहना पा कर अत्यंत प्रशन्न हूँ ..आप की शुभकामनाएँ सर आँखों पर ,,, पर आप का 'सस्नेह' कहाँ गया , ढूंड रही हूँ | सादर 

Comment by Vindu Babu on May 6, 2014 at 5:04am

ओ!

आदरणीया मीना दी,कितनी मार्मिक बात कितने सलीके से कही है अपने...सच में बड़ी स्पर्शी है।

हार्दिक शुभकामनायें आपको

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 5, 2014 at 10:34pm

आदरणीया मीना जी 

कुम्भ कल्पवास की ओट में ऐसी बेधती सच्चाइयाँ.. उफ्फ आत्मा तक ये दर्द जाता है 

कैसे कोइ पुत्र अपनी वृद्धा माँ को ऐसे छोड़ सकता है...? और माँ की उम्मीद आज भी ऐसे पुत्र के इंतज़ार में ज़िंदा है..

बहुत मर्मस्पर्शी सार्थक लघु कथा आदरणीया 

बहुत बहुत बधाई 

Comment by Meena Pathak on May 2, 2014 at 12:18pm

रचना पर आप की उपस्थिति, सराहना और मार्गदर्शन, इन सब के लिए मै हृदयतल से आभारी हूँ आदरणीय सौरभ सर | सादर 



कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
15 hours ago
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service