For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अमौसी हवाई अड्डे के बाहर

 

 

वह देख रहा था
पहचान-पत्र दिखाकर लोगों को जाते हुए
सुरक्षा के घेरे में.
वह स्वयं
सुरक्षा के घेरे से बहुत दूर था
अपनी ही दुनिया में –

लोग कहाँ जाते हैं
उसे क्या मालूम ?
लोगों को क्या मालूम
कि उनकी सुरक्षा के घेरे के बाहर
और भी दुनिया है !

उसने एक बार
दीवार की खिसकी हुई ईंट की जगह
आँख लगाकर देखा था
एक बड़ी सी चमचमाती चिड़िया
कोलतार के लम्बे रास्ते पर
दौड़ती हुई जाती है
फिर अचानक, आकाश में
मुँह उठाए उड़ जाती है –
अपने पैरों को पेट में समेटते हुए.
इससे पहले कि वह समझे
यह चिड़िया
फुदकने की बजाए दौड़ती क्यों है !
चहचहाने की जगह ग़ुर्राती क्यों है
वर्दी वाले ने डंडा दिखाकर कहा था
‘भाग यहाँ से, पागल कहीं का’

दुबककर पीछे हटते हुए
सुरक्षा घेरे के बाहर आकर
वह फिर से सुरक्षित महसूस कर रहा था.
उड़ती हुई वह चिड़िया
किस स्वप्नलोक में गयी
उसे क्या मालूम,
उसका स्वप्नलोक तो उसके सामने
हरे रंग के बंद डब्बे में था.
धीरे से डब्बे का ढक्कन खोलकर
उसने आज का खाना ढूँढ़ ही लिया
फिर अपने चीथड़े जेबों में हाथ डालकर
सम्राट की तरह जल्दी-जल्दी चलने लगा
डर था
कहीं सुरक्षा का घेरा वहाँ न आ पहुँचे
और उससे पहचान-पत्र माँगने की जुर्रत कर बैठे

....अगर उसे गुस्सा आ गया तो !!

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 411

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 14, 2014 at 4:28pm

आदरणीय शरदेन्दुजी,
आज आपकी अभिव्यक्ति के इस पक्ष पर अभिभूत हुआ निश्शब्द हूँ. प्रस्तुत हुई रचनाओं पर विलम्ब से आना कई बार सालता है लेकिन आपकी प्रस्तुत रचना तो मुझे मेरी विवशता पर मुँह चिढ़ाती लग रही है.

अपने समाज में हर पहलू के अनुसार बन गयी कई-कई गहरी खाइयाँ और उनसे जन्मी विसंगतियों की इतनी सुन्दर अभिव्यक्ति प्रयुक्त बिम्बों के सटीक एवं सार्थक प्रयोग से मुखर हो कर सामने आयी है.


वह स्वयं
सुरक्षा के घेरे से बहुत दूर था
अपनी ही दुनिया में –

लोग कहाँ जाते हैं
उसे क्या मालूम ?
लोगों को क्या मालूम
कि उनकी सुरक्षा के घेरे के बाहर
और भी दुनिया है !
उपरोक्त वाक्यांश ग़ज़ब के तमाचे रसीद करते हैं. एक संवेदनशील पाठक अपने समाज की दोगली व्यवस्था के विरुद्ध अपनी लाचारी को और असहाय पाता है.

दुबककर पीछे हटते हुए
सुरक्षा घेरे के बाहर आकर
वह फिर से सुरक्षित महसूस कर रहा था.
क्या बात है !

इस व्यंग्योक्ति की वेगवती धार शोर नहीं करती, अभिजात्य वर्ग में व्याप्त कर्कश अन्यमनस्कता को बहा ले जाने हेतु अपने प्रवाह को त्वरित बनाये रखती है.  

बहुत दिनों के बाद आपकी कोई पद्य रचना देख रहा हूँ, आदरणीय. लेकिन आपकी इस रचना ने सभी मलालों को धो दिया है.  रचना अंतर्निहित व्यंग्योतियों के कारण नव-हस्ताक्षरों के लिए अनुकरणीय भी है.
इस सुन्दर रचना के लिए सादर शुभकामनाएँ.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on May 7, 2014 at 1:38am

आदरणीया प्राची जी, आपने बहुत दिनों बाद मेरी किसी रचना पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है....और क्या खूब है यह प्रतिक्रिया !! मेरे मन के भावों को आपने बिल्कुल सही पढ़ा. मेरी रचना पुरस्कृत हुई. जब इस रचना की ओर कोई देख नहीं रहा था (अभी भी केवल 17 बार इसे देखा गया है) मुझे थोड़ी हताशा हुई थी. आदरणीय रमेश चौहान  जी ने कहन की अस्पष्टता की बात कही...सो मुझे लगने लगा कि मैं अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में असफल रहा हूँ. आज आपकी टिप्पणी ने "मुझे,एक नयी औकात दिला दी". आपका हृदय से आभारी हूँ.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 6, 2014 at 7:52am

बहुत खूबसूरत...मर्मस्पर्शी 

एक निर्धन अबोध की आँखों से देखें तो..... ये रहस्मयी चमचमाती चिड़िया का फुदके बिना ही उड़ जाना... चाह्चाने की जगह गुर्राना... क्या कुछ नहीं चलता होगा उसके मन में... 

और ये सुरक्षा घेरा, पहचान पत्र, जन सभा और उसका दीवार की खिसकी ईंट से झाँकना.... क्या स्वाभाविक सहज शब्द चित्र उकेरा है.

आपकी संवेदनशीलता नें बहुत ही सटीक बिम्बों के माध्यम से बहुत प्रभावशाली अभिव्यक्ति प्रस्तुत की है आदरणीय शैलेन्द्र मुखर्जी जी 

मेरी दिली बधाई स्वीकार करें 

सादर.

Comment by रमेश कुमार चौहान on May 1, 2014 at 11:20am

इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई, सुंदर भाव
कहन कुछ अस्पष्ट लगी शायद मेरी समझ..........

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब। इस उम्द: ग़ज़ल के लिए ढेरों शुभकामनाएँ।"
15 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। इस जहाँ में मिले हर…"
19 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले ग़ौर…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ ,बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए और बेहतर सुझाव के लिए सुधार करती हूँ सादर"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी बहुत शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपका मक़्त के में सुधार की कोशिश करती हूं सादर"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी बेहतर इस्लाह ऑयर हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आपका सुधार करती हूँ सादर"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी और अमीर जी के सुझाव क़ाबिले…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बहुत ही लाज़वाब ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिये है शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ ,गिरह भी…"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी आदाब, और प्रस्तुति तक पहुँचने के लिए आपका आपका आभारी हूँ। "बेवफ़ा है वो तो…"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service