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आज मेरे देश में (घनाक्षरी छंद)


मनहरण घनारक्षरी छंद -31 वर्ण चार चरण 8,8,8,7 पर यति चरणांत गुरू
..............................................................
झूठ और फरेब से, सजाये दुकानदारी ।
व्यपारी बने हैं नेता,  आज मेरे देश में ।।
वादों के वो डाले दाने, जाल कैसे बिछायें है ।
शिकारी बने हैं नेता, आज मेरे देश में ।।
जात पात धरम के, दांव सभी लगायें हैं ।
जुवारी बने हैं नेता, आज मेरे देश में ।।
तल्ख जुबान उनके, काट रही समाज को ।
कटारी बने हैं नेता, आज मेरे देश में ।।

दामन वो फैलाकर, घर घर तो घूम रहे ।
भिखारी बने हैं नेता, आज मेरे देश में ।।
मंदिर मस्जिद द्वार,  वह माथा टेक रहे ।
पुजारी बने हैं नेता, आज मेरे देश में ।।
मनोहारी करतब, वो तो अब दिखा रहे ।
मदारी बने हैं नेता, आज मेरे देश में ।।
दंगो के बुझे आग को, फिर वो सुलगा रहे ।
चिंगारी बने हैं नेता, आज मेरे देश में ।।
....................................
मौलिक अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Satyanarayan Singh on May 9, 2014 at 4:32pm

आ. इस सुन्दर प्रयास पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 5, 2014 at 10:25pm

नेताओं के आधुनिक चरित्र  का सुन्दर बखान हुआ है 

छंदों में गेयता कहीं कहीं बाधित लगी..

आदरणीया राजेश कुमारी जी के कहे पर भी गौर अवश्य करें 

इस सुन्दर प्रयास पर मेरी बधाई स्वीकारें 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on May 1, 2014 at 12:43pm

सुन्दर सामयिक  घनाक्षरी , हार्दिक  बधाई , रमेश भाई 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 1, 2014 at 12:24am

सच! यही सब कुछ हो रहा है आज,  बधाई स्वीकारें आदरणीय रमेश जी

Comment by रमेश कुमार चौहान on April 30, 2014 at 11:13pm

आदरणीया राजेशदी एवं मीनादी हार्दिक आभार मेरे प्रयास को सराहने के लिये


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 29, 2014 at 8:13pm

झाूठ और फरेब से, सजाये दुकानदारी ।-----झूठ कर लें टंकण त्रुटी हो रही है 

तल्ख जुबान उनके, काट रहे समाज को ।---तल्ख़ जुबान उनकी ,काट रही समाज को कर लें 

आज के हालात पर ..नेताओं पर कटाक्ष करती सुन्दर घनाक्षरी ,बहुत-बहुत बधाई आपको. 

Comment by Meena Pathak on April 29, 2014 at 3:06pm

बहुत सुन्दर ... बधाई रमेश जी 

कृपया ध्यान दे...

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