फकत वोटों की खातिर झूठे वादे करने वालों को
सबक सिखलाएंगे अब के छलावे करने वालों को ...
नहीं गुमराह होंगे हम किसी की बातों में आ कर
न गद्दी पर बिठाएंगे तमाशे करने वालों को...
गरीबी,भुखमरी,बेरोजगारी से लड़ेंगे वो
चलो हम हौसला देवें इरादे करने वालों को ...
चुनावी वायदे अपने कभी पूरे नहीं करते
बहाना चाहिए कोई बहाने करने वालों को....
सियासी चाल में फंस कर अंधेरों में हैं हम भटके
कि अब के वोट डालेंगे उजाले करने वालों को....
मौलिक व अप्रकाशित ....
Comment
गरीबी,भुखमरी,बेरोजगारी से लड़ेंगे वो
चलो हम हौसला देवें इरादे करने वालों को .
सियासी चाल में फंस कर अंधेरों में हैं हम भटके
कि अब के वोट डालेंगे उजाले करने वालों को....
वाह !
आदरणीय अजय अज्ञातजी, सामयिक ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई.
सादर
आगामी चुनावो से पहले जनता को जागरूक और सचेत करती इस शानदार रचना के लिए तहे दिल बधाई स्वीकार करें ..सादर
सुन्दर सामयिक।।।।।।।।।। बधाई आदरणीय !!!
आ. अजय जी ,
बहुत सुंदर, सामयिक और खूबसूरत रचना.
इस नाचीज़ की तरफ से मुबारकबाद स्वीकार करें.
"चिराग"
बहुत बढ़िया गजल आदरणीय अजय जी, सभी शेर जोश भरा सन्देश देते हुए . हार्दिक बधाई आपको
आदरणीय अजय भाई , सुन्दर सामयिक ग़ज़ल के लिये आपको बधाइयाँ ॥
सामयिक विचार की सुन्दर अभिव्यक्ति
सीख देती हुयी शानदार ग़ज़ल के लिए ढेरो दाद
अच्छी ग़ज़ल! आपको बहुत-बहुत बधाई!
आदरणीय अजय जी अच्छी संदेश देती हुई ग़ज़ल है बहुत बहुत बधाई आपको
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