सरस्वती वंदना (उल्लाला छंद पर आधारित )
हे माँ श्वेता शारदे , विद्या का उपहार दे
श्रद्धानत हूँ प्यार दे , मति नभ को विस्तार दे
तू विद्या की खान है ,जीवन का अभिमान है
भाषा का सम्मान है ,ज्योतिर्मय वरदान है
नव शब्दों को रूप दे ,सदा ज्ञान की धूप दे
हे माँ श्वेता शारदे ,विद्या का उपहार दे
कमलं पुष्प विराजती ,धवलं वस्त्रं शोभती
वीणा कर में साजती ,धुन आलौकिक बाजती
विद्या कलष अनूप दे ,आखर- आखर कूप दे
हे माँ श्वेता शारदे ,विद्या का उपहार दे
निष्ठा तू विश्वास तू ,हम भक्तों की आस तू
सद्चित्त का आभास तू ,करती तम का ह्रास तू
तम सागर से तार दे ,जीवन का आधार दे
हे माँ श्वेता शारदे ,विद्या का उपहार दे
वाणी में तू रस भरे ,गीतों को समरस करे
जीवन को रोशन करे,तुझसे ही माँ तम डरे
रस छंदों का हार दे ,कविता ग़ज़ल हजार दे
हे माँ श्वेता शारदे ,विद्या का उपहार दे
जिस को तेरा ध्यान है ,मन में तेरा मान है
तेरे तप का भान है ,मानव वो विद्वान है
जीवन में मत हार दे ,भावों में उपकार दे
हे माँ श्वेता शारदे ,विद्या का उपहार दे
हे धवल हंस वाहिनी, निर्मल सद्मति दायिनी
जड़ मति विपदा हारिणी ,भव सागर तर तारिणी ,
सब कष्टों से तार दे,शिक्षा का भण्डार दे
हे माँ श्वेता शारदे ,विद्या का उपहार दे
हे माँ श्वेता शारदे, श्रद्धानत हूँ प्यार दे
(मौलिक एवं अप्रकाशित )
Comment
आदरणीया राजेश कुमारी जी, आप ने जो माँ शारदे की वंदना में शब्द रूपी मनिका पिरोये हें,वो अति प्रिय लग रहे हें। श्रीमती जी आप को बहुत बहुत बधाई /सादर
आ० अन्नपूर्णा जी सरस्वती वंदना आपको पसंद आई ,सादर आभार ,जय माँ शारदे
बहुत सुंदर सरस्वती वंदना , बधाई आपको आ0 राजेश कुमारी जी ।
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