For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उसने भुलाया हो न हो (ग़ज़ल) "राज"

२१२२  २१२२  २१२२  २१२

बारहा सजदा करेंगे खुश खुदाया हो न हो

इस अकीदत का कभी एजाज़ पाया हो न हो

 

जान रख दें उस ख़ुदा के सामने तेरे लिए  

सर किसी के सामने हमने झुकाया हो न हो

 

सींचते उसकी जड़ों को आज भी हम प्यार से

वक़्त हमने छाँव में उसकी बिताया हो न हो

 

याद में उसकी हमेशा हम लिखेंगे हर ग़ज़ल

हम भुला सकते नहीं उसने भुलाया हो न हो

 

काश जलकर  हम उजाला कर सकें उसके लिए  

दीप उसने आज घर अपने जलाया हो न हो

 

लिख दिया है नाम अपना उस समंदर के निहाँ

गेसुओं ने मौज की उसको मिटाया हो न हो

 

चाँद की महफ़िल सजी है झिलमिलाती चाँदनी   

बज्म में उसकी चलें हम को बुलाया हो न हो

 

वादिए शादाब में ढूँढे नदी  अपने निशाँ

अब्र उसकी जिंदगी में ‘राज’ आया हो न हो  

*************************************

बारहा =हमेशा, सजदा =पूजा, एजाज़=चमत्कार ,जादू

निहाँ =अन्दर, अकीदत =आस्था ,श्रद्धा, वादिए शादाब =हरी भरी वादी

अब्र =बादल

 (मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 597

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 22, 2014 at 8:57pm

गज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना पाकर हर्षित हूँ तहे दिल से आभार आपका आदरणीय सौरभ जी. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 22, 2014 at 8:40pm

याद में उसकी हमेशा हम लिखेंगे हर ग़ज़ल

हम भुला सकते नहीं उसने भुलाया हो न हो ..   यह शेर वाकई खास है.

बधाई स्वीकार करें आदरणीया राजेश कुमारी.

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 4, 2014 at 8:38pm

प्रिय प्राची जी, ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना ये ग़ज़ल धन्य हुई ,तहे दिल से आभारी हूँ.सस्नेह.  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 4, 2014 at 2:15pm

बहुत खूबसूरत ग़ज़ल कही है आ० राजेश जी 

हर एक शेर पर अलग-अलग ढेर सी बधाई लीजिये 

याद में उसकी हमेशा हम लिखेंगे हर ग़ज़ल

हम भुला सकते नहीं उसने भुलाया हो न हो......................बहुत सुन्दर 

शुभकामनाएं 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 26, 2014 at 10:00am

आ० कल्पना रमानी जी आपको ग़ज़ल ,रदीफ़ पसंद आया तो मेरी ग़ज़ल मुकम्मल हुई तहे दिल से आभारी हूँ .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 26, 2014 at 9:58am

ब्रजेश जी, ग़ज़ल आपको पसंद आई मन प्रसन्न हो गया तहे दिल से आभार आपका. 

Comment by कल्पना रामानी on February 25, 2014 at 11:17pm

आद्रणीया राजेश कुमारी जी, बहुत सुंदर गज़ल हुई है आपकी। हर शे'र लाजवाब। रदीफ़ विशेष पसंद आई।

Comment by बृजेश नीरज on February 25, 2014 at 10:11pm

वाह! बहुत सुन्दर ग़ज़ल! आपको हार्दिक बधाई!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 24, 2014 at 12:27pm

लक्ष्मण धामी जी आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ तहे दिल से आभारी हूँ .

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 24, 2014 at 12:01pm

आदरणीया राजेश जी , बहुत लाजवाब ग़ज़ल कही है l सभी शे र एक से बढ़्कर एक हैं l हार्दिक  बधाइ स्वीकार करें ॥

जान रख दें उस ख़ुदा के सामने तेरे लिए  

सर किसी के सामने हमने झुकाया हो न हो

शे'र के लिए पुनः बधाई .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
11 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
11 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
11 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
12 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
17 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service