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(दो कुण्डलियाँ) छोटा परिवार,सुखी परिवार

ढांचा सुधरे देश का ,सुदृढ़ हो आकार

खुशियाँ बसती हैं जहां ,छोटा हो परिवार

छोटा हो परिवार ,प्रेम से आँगन महके

पुत्री हो या पुत्र ,नीड़ में खुशियाँ  चहके

बूढों का सम्मान ,भरे जीवन का सांचा

हो  जाए उत्थान , देश का सुधरे ढांचा

**************************

           (२)|

पहले दो टुकड़े हुए ,और हुए फिर चार

टूक-टूक रोटी बटे,बढ़े अगर परिवार

बढ़े अगर परिवार, लड़ाई गुत्थम गुत्थी

खिचे बीच दीवार, रोज की माथापच्ची

रिश्तों बीच खटास,आर्थिक धरती दहले

खुशियाँ लाओ पास,करो नसबंदी पहले  

********************************

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 10, 2014 at 7:20pm

प्रिय राम शिरोमणि पाठक जी कुंडलियाँ आपको पसंद आई सार्थक लगी ,बहुत- बहुत शुक्रिया आपका. 

Comment by ram shiromani pathak on February 10, 2014 at 2:43pm

 बेहद सुन्दर कुण्डलिया  आदरणीया हार्दिक बधाई आपको//////////   सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 10, 2014 at 12:38pm

प्रिय अरुन शर्मा कुंडलियों पर आपका स्नेहसिक्त अनुमोदन मिला हार्दिक आभार आपका. 

Comment by अरुन 'अनन्त' on February 10, 2014 at 11:34am

आदरणीया माँ जी दोनों ही कुण्डलिया बेहद सुन्दर और संदेशप्रद रची है आपने आपको ढेरों दिली बधाइयाँ प्रेषित हैं स्वीकार करें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 8, 2014 at 2:26pm

सादर आभार आ० आशुतोष मिश्रा जी आपको कुण्डलियाँ पसंद आई 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 8, 2014 at 2:17pm

पुत्री हो या पुत्र ,नीड़ में खुशियाँ  चहके

बूढों का सम्मान ,भरे जीवन का सांचा  

आदरणीया राजेशजी .बेहद सुंदर कुंडलियाँ ..आपको हार्दिक बधाई के साथ  

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 8, 2014 at 12:49pm

आदरणीया आपने बिलकुल सही कहा ..ये कमेन्ट मैंने मौत आती है मरते मरते पर की थी कमेन्ट गलती से आपकी रचना पर हो गया था .मैं इसे सतत दूर करने की कोशिस कर रहा था किन्तु नेट कनेक्टिविटी न होने के कारन ऐसा कर न सका था ..मैंने संसोधन कर लिया है ..सादर प्रणाम के साथ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 8, 2014 at 12:39pm

आ० आशुतोष जी आपने ये टिपण्णी गलत जगह कर दी है ,ये कुंडलियाँ हैं आपने किसी और रचना की टिपण्णी यहाँ कर दी है ,कृपया दुबारा जांच करें 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 8, 2014 at 12:02pm

ब्रजेश जी, कुंडलियों पर आपकी सराहना मिली लिखना सार्थक हुआ हार्दिक आभार आपका. 

Comment by बृजेश नीरज on February 8, 2014 at 11:56am

आदरणीया, सुन्दर कुण्डलियाँ हैं! आपको हार्दिक बधाई!

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