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हो गये जो निछावर वतन के लिए ,
याद करने की उनको घड़ी आ गयी ।
आज का दिन मनायें उन्हीं के लिए ,
कहने गणतंत्र कि नव सदी आ गयी ।

ये वीरों की धरती हमारा वतन ।
आकाश भी जिसको करता नमन ।
गाँधी नेहरू की जीवन कहानी है ये ।
नेता जी की तो सारी जवानी है ये ।

ऐसे आज़ाद भारत के वासी हैं हम ,
बात मन में यही फक्र की आ गयी ।

लाल हो जिनके कपड़े कफ़न हो गये ।
जो हिमालय कि हिम में दफ़न हो गये ।

मर के भी दुश्मनों को न बढ़ने दिया ।
खुद गिरे पर तिरंगा न गिरने दिया ।

खेद है उन शहीदों कि खातिर यहाँ ,
आज श्रद्धा में अपनी कमी आ गयी ।

देख कर दुश्मनो को यूँ आगे बढे ,
न परवाह कि ज़िन्दगी के लिए ।
प्राणों का मोह लेकर न पीछे हटे ,
जाँ लुटा दी हमारी ख़ुशी के लिए ।

राष्ट्र कि नवसदी के जो हकदार हैं ,
यादों पे उनकी ही धुंधली छा गयी ।

सुनके ये दास्ताँ मन कहीं खो गया ,
और तिरंगे को देखा फहरते हुये ।
फिर परेडे हुयीं और सलामी हुयी
देश भक्तों को भी पुष्प अर्पण किये ।

तो उमंगों कि दिल में लहर सी उठी ,
और आँखों में भी कुछ नमी छा गयी ।

मन में संकल्प था राष्ट्र का हित करें ।
उन शहीदों के जैसे जिए और मरें ।
भ्रष्ट सब ताकतों का मिटा दें निशाँ ।
अपनी आज़ादी रखें हमेशा जवाँ ।

याद संकल्प वो ही दिलाने हमें ,
आज फिर छब्बीस जनवरी आ गयी ।

मौलिक व अप्रकाशित

नीरज 'प्रेम '

Views: 600

Comment

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Comment by Neeraj Nishchal on January 28, 2014 at 9:07pm

आदरणीय आशुतोष जी बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Neeraj Nishchal on January 28, 2014 at 9:05pm

आदरणीय जीतेन्द्र भाई बहुत बहुत धन्यवाद व्यक्त करता हूँ ।

Comment by Neeraj Nishchal on January 28, 2014 at 9:04pm

आदरणीया प्राची जी तहे दिल से शुक्रिया ।

Comment by Neeraj Nishchal on January 28, 2014 at 9:03pm

आदरणीया बृजेश जी बहुत बहुत शुभकामनाएं और बहुत बहुत धन्यवाद ।

Comment by Neeraj Nishchal on January 28, 2014 at 9:02pm

आदरणीया मीना जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका ।

Comment by Neeraj Nishchal on January 28, 2014 at 9:01pm

आदरणीया भंडारी जी बहुत बहुत और बहुत धन्यवाद ह्रदय के अहोभाव से ।

Comment by Neeraj Nishchal on January 28, 2014 at 8:59pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी बहुत बहुत अनुग्रहीत हूँ ।

Comment by Neeraj Nishchal on January 28, 2014 at 8:59pm

आदरणीया मोहिनी जी बहुत बहुत दिल से आभार प्रकट करता हूँ ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 28, 2014 at 3:03pm

लाल हो जिनके कपड़े कफ़न हो गये । 
जो हिमालय कि हिम में दफ़न हो गये ।

मर के भी दुश्मनों को न बढ़ने दिया । 
खुद गिरे पर तिरंगा न गिरने दिया ...देशभक्ति के जज्वे से भरी इस सम्बेदन शील रचना के लिए आपको तहे दिल बधाई ..

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 28, 2014 at 11:21am

मन में संकल्प था राष्ट्र का हित करें ।
उन शहीदों के जैसे जिए और मरें ।
भ्रष्ट सब ताकतों का मिटा दें निशाँ ।
अपनी आज़ादी रखें हमेशा जवाँ..........सुंदर पंक्तियाँ, देश प्रेम व् भक्ति से ओतप्रोत

गणतंत्र दिवस की शुभकामनाओं के साथ, बधाई स्वीकारें आदरणीय नीरज जी

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