For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुहब्बतों के पैगाम ..........

मुहब्बतों के पैगाम .....

ये मुहब्बत भी
अजब शै है ज़माने में
उम्र गुज़र जाती है
समझने और समझाने में
कब हो जाती हैं सांसें चोरी
खबर ही नहीं होती
बरसों नहीं आती नींद
उनके इक बार मुस्कुराने में
डूबे रहते हैं पहरों
इक दूसरे के ख्यालों में
जाने गुज़र जाती शब् कैसे
इक दूसरे से बतियाने में
शब् जाती है तो
सहर आ जाती है
सहर क्या आती है
संग कहर ले आती है
वो लम्हे अंगार बन जाते है
जो संग शब् के गुज़र जाते हैं
राहे मुहब्बत में
कुछ ऐसे भी मुकाम आते हैं
जब दो जिस्म इक जान हो जाते हैं
इक दूसरे में फना
हर सांस हो जाती है
मख़मली अहसासों में
न हस्ती होती है
न नाम होते हैं
थरथराते लबों पे बस
मुहब्बतों के पैगाम होते हैं

सुशील सरना

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 573

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on February 5, 2014 at 7:50pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी रचना पर आपकी स्नेहाशीष का हार्दिक आभार । कृपया  अपना स्नेह बनाये रखें।  क्षमा चाहता हूँ नेट ठीक न होने के कारण मैं आपका आभार समय पर व्यक्त नहीं कर पाया। धन्यवाद 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 30, 2014 at 11:41am

मुहब्बत को शब्द देने की कोशिश हुई है, आदरणीय,

हार्दिक धन्यवाद.. .

Comment by Sushil Sarna on January 25, 2014 at 4:43pm

आदरणीय बृजेश नीरज जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार 

Comment by बृजेश नीरज on January 23, 2014 at 8:24pm

सुन्दर रचना आदरणीय! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by Sushil Sarna on January 23, 2014 at 12:28pm

आदरणीय शिज्जू शकूर साहिब रचना पर आपकी मधुर प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 22, 2014 at 8:12pm

आदरणीय सुशील सर इस गीत के लिये बधाई स्वीकार करें

Comment by Sushil Sarna on January 22, 2014 at 2:03pm

आदरणीय अरुन शर्मा 'अनन्त ' जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार 

Comment by Sushil Sarna on January 22, 2014 at 2:00pm

आदरणीय प्रियंका सिंह जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 22, 2014 at 11:56am

आदरणीय सुशील सर प्रेम रस में डूबी सुन्दर पंक्तियाँ प्रेम मिलन और विरह में होने वाले उतार चढाव को सुन्दरता से पिरोया है आपने. मेरी ओर से बधाई स्वीकारें.

Comment by Priyanka singh on January 21, 2014 at 7:26pm

सुन्दर रचना ....खूब पिरोया अपने भावों को शब्दों में ....बधाई सर .....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी , इस प्रयोगात्मक लघुकथा से इस गोष्ठी के शुभारंभ हेतु हार्दिक…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service