!!! चाल ढार्इ घर चले अब !!!
बन फजल हर पल बढ़े चल,
दासता के देश में अब।
रास्ते के श्वेत पत्थर
मील बन कर ताड़ते हैं
दंग करती नीति पथ की,
चाल ढार्इ घर चले अब।1
भूख पीड़ा सर्द रातें
राह पर अब कष्ट पलते
भ्रूण हत्या पाप ही है
राम के बनवास जैसा
साधु पहने श्वेत चोला
चाल ढार्इ घर चले अब।2
रोजगारी खो गर्इ है
रेत बनकर उड़ चुकी जो
फिर बवन्डर घिर रहा है
घूस खोरी सी सुनामी
दर-बदर अस्मत हुर्इ पर
चाल ढार्इ घर चले अब।3
कत्ल का अंजाम क्या है?
बस रर्इसों के सफर सम
तंत्र का यह श्वेत पत्रक
प्रेम का इतिहास कहता
फिर रसायन रस पढ़ा कर
चाल ढार्इ घर चले अब।4
के0पी0सत्यम-मौलिक व अप्रकाशित
Comment
भाई केवल प्रसादजी, यदि इस नवगीत को कथ्य, तथ्य, शिल्प, प्रस्तुति और संप्रेषणीयाता सबके हिसाब से मेरी पढ़ी हुई आपकी अबतक की सर्वश्रेष्ठ रचना कहूँ तो अतिशयोक्ति न होगी.बिम्ब और प्रतीकों का इतना सार्थक प्रयोग आपकी रचनाओं में मेरी दृष्टि में पहली बार हो रहा है.
आपने इस नवगीत में चार बन्द रखे हैं, और चारों के इंगित इतने सान्द्र हैं कि सीधे हृदयतल की तह तक पहुँचते हैं.
आपने तुकान्तता की बाध्यता नहीं रखी है, लेकिन ’फाइलातुन’ की सहज और प्रवहमान आवृति ने अंतर्गेयता की दशा को अति उच्च बनाये रखा है. जो आपकी दिनोदिन समृद्ध होती जा रही काव्य-समझ की अति प्रखर बानग़ी है.
आपके समृद्ध अनुभव से किसी मंच को ऐसी ही रचनाओं की अपेक्षा होगी.
हृदय की अतल गहराइयों से आपको बधाई कह रहा हूँ. ऐसी प्रखर और गंभीर रचना को साझा कराने के लिए सादर धन्यवाद.
हाँ एक बात अवश्य निवेदित करूँगा, कि, आखिरी बन्द में दूसरी पंक्ति को बस रईसों का सफ़र है किया जा सकता है क्या ? वस्तुतः यह कोई सुझाव न हो कर मेरा एक निवेदन भर है.
शुभ-शुभ
आ0 कुन्ती जी, आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार। सादर,
आ0 धामी भाई जी, आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार। सादर,
आ0 भण्डारी भाई जी, आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार। सादर,
कत्ल का अंजाम क्या है?
बस रर्इसों के सफर सम
तंत्र का यह श्वेत पत्रक
प्रेम का इतिहास कहता
फिर रसायन रस पढ़ा कर
चाल ढार्इ घर चले अब।...........बहुत सुंदर.केवल जी..हार्दिक बधाई.
आदरनीय केवल भाई सुन्दर भाव पूर्ण रचना के लिये बधाई..
आदरनीय केवल भाई , खूब सूरत रचना के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥
आदरणीय मीना जी आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आप सभी का हार्दिक आभार। सादर,
आदरणीय अन्नपूर्णा जी आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आप सभी का हार्दिक आभार। सादर,
आदरणीय श्याम नारायणजी आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आप का हार्दिक आभार। सादर,
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