एक बार हमें भी लगा कि हमें शायर बनना चाहिये हमने शुरुआत की, हमने शुअरा को पान खाते देखा तो हमें लगा यह भी शायर बनने के लिये ज़रूरी है सो हमने शुरुआत यहीं से की l
आनन फानन कुछ अशआर लिख मारे और छपवाने के लिये मशहूर अखबार के दफ़्तर गये जहाँ हमें हमारी शख़्सियत को देखते हुये संपादक से मिलने का सौभाग्य मिला l
संपादक महोदय ने ऊपर से नीचे तक हमें देखा और हमारे हाथ से लेकर हमारी रचनाये पढ़ने के बाद संपादक महोदय ने कुछ कहने की भी जहमत नही उठाई, वो अपने मनहूस लैपटॉप पर कोई फिल्म देख रहे थे उन्होने कुछ किया और लैपटॉप का स्क्रीन हमारी तरफ कर दिया और इशारे से सुनने को कहा l
पुलिस बने अभिनेता अवतार गिल कह रहे थे- “आप शराफत से बाहर जायेंगे या धक्के देकर बाहर निकालूँ”
और हमारे शायर बनने का सपना टूट गया l
-मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय शिज्जू भाई , वाह वा , मज़ेदार हास्य रचना पढावाने के लिये आपका बहुत शुक्रिया !!!! और एक विधा मे आपकी रचना देख कर खुशी हुई , इस रचना के लिये आपको बहुत बधाई !!!!
हाहाहा सपना अक्सर टूट ही जाता है मजेदार रचना पढवाई है आपने, और जो शुअरा ने पान खाया है हाहाहा क्या खूब खाया है हँसे ही जा रहा हूँ. बहुत बहुत बधाई आपको
यानि कि बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले ??
बाई द वेज़ - वह एडिटर महोदय हमारे जैसे फराख दिल नहीं रहे होंगे शिज्जू भाई. सही कहा न ?
अब तो जय ओबीओ कहना पड़ेगा। :)
फिर ....फिर, क्या हुआ? आप शराफत से बाहर आये या ......? :))))
सादर!!
हाहाहा हाहाहा
शायर बनने की शुरुवात पान खाने से :)))) बढ़िया शुरुवात ..तो अंत तो ऐसा ही होना था सपने का
बहुत शानदार हास्य आ० शिज्जू जी
रात के सपने आँख खुलते ही टूट जाते हैं ,और जागती आँखों के सपने हर दिन टूटते बिखरते रहते हैं । हर आम आदमी का यही हाल है।
अगली बार सम्पादक की तारीफ में कुछ पंक्तियाँ लिखकर ले जाना , आपकी फोटो सहित छापेगा ऊपर से चाय पिलायेगा ।... सादर
हाहाहाहाहाहा, क्या बात है, मुझे यह रचना व्यंग नहीं हास्य लगी, बधाई |
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