For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

छंद  - दोहा

 

काव्य रसिक समवेत है ,अद्भुत दिव्य समाज I

माते !  अपनी  कच्छपी , ले कर  आओ  आज II  

 

वीणा  के  कुछ   छेड़  दो , ऐसे   मधुमय   तार I

सारी   पीडाये    भुला ,  स्वप्निल   हो   संसार II

 

सपनो  में  ही  प्राप्त है ,  जग को  अब  आनंद I

अतः मदिर माते  i करो , हम  कवियों  के  छंद II

 

यदि भावों  से  गीत  से, जग  को मिलता  त्राण I

रस  से  सीचेंगे   सदा ,  उनके   आकुल   प्राण  II

 

झंकृत   हो    वीणा   यहाँ ,   फैले    ऐसा   राग I

सभी  दिशाओ  में   भरे, परिमल  सा  अनुराग II 

 

सरगम  से   संगीत  से,  मिलता  हमको  ज्ञान I

माते  !  है  तेरी  कृपा  ,  हम  सबका  सम्मान II

 

जगमग  सारे  लोक  में,  है  स्वर  का  अनुनाद I  

आज  सुलभ सबको  हुआ,  माँ का दिव्य प्रसाद II

 

जब  तक  माँ  होता  रहे ,  कविताओं  का  पाठ I

तब  तक  अविचल  ही रहे , जननी  तेरा   ठाठ II

 

माता  का  प्रस्थान  ही,   है  स्वर  का  अवसान I

इस अंतर  अनुभूति का, हर  कवि  को  है ज्ञान II  

 

अब फिर से होगा वही ,  सकल  जगत व्यवहार I

जननी   है  तेरी   कृपा,  का   शत-शत  आभार II

 

ऐसे  ही  फिर  हो कभी , आकुल कवि  के   गान I

हो  फिर  नव  उत्साह  से,  माता  का  आह्वान II

 

कच्छपी -- माँ सरस्वती की वीणा का नाम I

 

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

 

Views: 1554

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 10, 2013 at 11:57am

राहुल देव जी

बहुत बहुत स्नेह i

दोहे माँ पर हो गए , ऐसे ही स्वयमेव  i

किसे ज्ञात था पाएंगे, आनंद राहुल देव ii

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 10, 2013 at 11:52am

डॉ  आशुतोष  मिश्रा जी

माँ की कृपा से ही  हम सब यहाँ है i

आपको दोहे पसंद आये i आपकी महानता है i

सादर i

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 10, 2013 at 11:23am

आदरणीय गोपाल सर ...अद्भुत दोहों से माँ सरस्वती का गुणगान किया है आपने ..सटीक और चुनिन्दा शब्द चार चाँद लगा रहे हैं ,,सादर बधाई और प्रणाम के साथ 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 7, 2013 at 9:36pm

आदरणीय सौरभ जी

दोहे का विग्रह मेरा था i प्राण प्रतिष्ठा तो आपने ही की i

अध्वर्यु  को प्रणाम i


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 7, 2013 at 4:31pm

आदरणीय गोपालजी, आपके सतत प्रयास और आपकी संलग्नता पर आपके प्रति मेरे मन में सादर भाव हैं. आपके दोहों के कथ्य शारदे के प्रति आपके भावोद्गार हैं.

शिल्प और कथ्य पर सम्यक प्रयास हुआ है. आपकी अन्यान्य प्रस्तुतियों की प्रतीक्षा है.

सादर

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 4, 2013 at 10:40am

अखिलेश श्रीवास्तवा जी

आपके प्रोत्साहन के लिए हार्दिक बधाई i  

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on December 3, 2013 at 11:33pm

माँ सरस्वती की दोहे के रूप में सुंदर वंदना की हार्दिक बधाई गोपाल भाई। दायें बाजू की खाली जगह पर  माँ का सुंदर चित्र होता तो और  भी आनंद आता ॥

 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 3, 2013 at 3:04pm

मित्रानुज गिरिराज जी

तेरा प्यार है तो मुझ क्या कमी है i

सितारों को भी मिल रही रोशनी  है i

आभार i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 3, 2013 at 3:01pm

आदरणीय   सौरभ जी

यथानिर्देश दोहे के शिल्प को पढ़कर

फिर माँ की प्रेरणा से नए दोहे रचूंगा 

और आपसे आशिर्वाद तथा मार्ग दर्शन

प्राप्त करूंगा i सादर i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 3, 2013 at 2:53pm

आदरनीय बड़े भाई गोपाल जी , लाजवाब दोहों की रचना की है आपने , माँ सरस्वती की बन्दना और आव्हान दोहों के रूप में !!! वाह वा पढ के मन प्रसन्न हो गया !!!! आपको कोटिशः बधाई !!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"नमन मंच 2122 2122 2122 212 जो जहाँ होगा वहीं पर वो खड़ा रह जाएगा ज़श्न ऐसा होगा सबका मुँह खुला रह…"
57 minutes ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
4 hours ago
Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत ही उत्तम और सार्थक कुंडलिया का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई सर"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service