बेघर हुए हैं ख़्वाब धमाकों के साथ साथ।
वहशत भी ज़िंदा रहती है साँसों के साथ साथ॥
जब रौशनी से दूर हूँ कैसी शिकायतें,
अब उम्र कट रही है अँधेरों के साथ साथ॥
दरिया को कैसे पार करेगा वो एक शख़्स,
जिसने सफ़र किया है किनारों के साथ साथ॥
वीरान शहर हो गया जब से गया है तू,
हालांकि रह रहा हूँ हजारों के साथ साथ॥
पत्ता शजर से टूट के दरिया पे जो गिरा,
आवारा वो भी हो गया मौजों के साथ साथ॥
मुद्दत हुई की नींद चुरा ले गया कोई,
कटती है अब तो रात सितारों के साथ साथ॥
इस जीस्त के सफ़र में भी तन्हा नहीं रहा,
“सूरज” सफ़र में है तेरी यादों के साथ साथ॥
डॉ॰ सूर्या बाली “सूरज”
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल कही है आ० डॉ० सूर्या बाली जी
हर शेर रोक रहा है.....
ये शेर तो ख़ास पसंद आया ..
दरिया को कैसे पार करेगा वो एक शख़्स,
जिसने सफ़र किया है किनारों के साथ साथ॥
हार्दिक शुभकामनाएं
एक और मिसाल गढ़ती हुई ग़ज़ल सामने है, डॉक्टर साहब. बहुत खूब !
इन दो अश’आर के लिए बार-बार वाह वाह -
दरिया को कैसे पार करेगा वो एक शख़्स,
जिसने सफ़र किया है किनारों के साथ साथ॥
पत्ता शजर से टूट के दरिया पे जो गिरा,
आवारा वो भी हो गया मौजों के साथ साथ॥
दिल खुश होगया, भाई साहब.
एक अनुरोध -
आप ग़ज़ल के साथ उसके मिसरों के वज़्न भी दे दिया करें जो कि ओबीओ पर की परिपाटी है. सीखने वालों को सहुलियत होती है.
जैसे आपकी इस ग़ज़ल के मिसरों का वज़्न २२१ २१२१ १२२१ २१२ है.
सादर
बहुत सुन्दर गज़ल, बहुत बहुत बधाई आप को आदरणीय | सादर
दरिया को कैसे पर करेगा वो एक शख़्स,
जिसने सफ़र किया है किनारों के साथ साथ..गहन चिंतन से लबरेज अनुभव की बात ..एक सन्देश के रूप में
पत्ता शजर से टूट के दरिया पे जो गिरा,
आवारा वो भी हो गया मौजों के साथ साथ....बहुत ही बढ़िया ..............मेरी तरफ से आपको हार्दिक बधाई
//पत्ता शजर से टूट के दरिया पे जो गिरा,
आवारा वो भी हो गया मौजों के साथ साथ//
वाह बेहतरीन शेर है आदरणीय डॉ बाली साहब दाद कुबूल करें
इस जीस्त के सफ़र में भी तन्हा नहीं रहा,
“सूरज” सफ़र में है तेरी यादों के साथ साथ॥
आदरणीय सूर्या बाली जी, हमेशा की तरह फिर एक बार लाजवाब प्रस्तुति ...
आपकी गजलें ओ बी ओ में सूरज की तरह चमकती है । बहुत बधाई आपको ।
आ. सूर्य बाली भाई खूबसूरत गज़ल हुई है , हार्दिक बधाई ॥
आदरणीय खूबसूरत शेर के लिये बधाइयाँ
दरिया को कैसे पर करेगा वो एक शख़्सए
जिसने सफ़र किया है किनारों के साथ साथ॥
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