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वो कौन है ...

यह तो एक पहेली है
उसकी अठखेली है...
दिखता वह अनजान है
पर हम सब की जान है
यह पहेली सुलझाने को 
युगों से अनेक ऋषि-मुनि 
हुए हैं अशांत
लेकिन वह तो हमेशा से ही
दिखता प्रशांत 
चैन की बंशी बजाता है
अपनी ही चलाता है
 नमस्कार बन्धु....
बहुत ठीक है तुम अपनी ही चलाओ 
सारी दुनिया को वृन्दावन बनाओ....
हम सब को खीझा और परेशान
देख कर भी चैन की वंशी बजाओ ...
लेकिन हम भी हार नहीं मानेंगे 
तुम लाख छिपो 
तुम्हे खोजने का प्रयास करते रहेंगे 
और खेलते रहेंगे
HIDE  & SEEK  
लगातार...........

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Comment

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Comment by Lata R.Ojha on January 25, 2011 at 11:48pm
aapne bhi luka chipi ke khel ko nayi rangat de di ..ati sundar bade bhai  :)
Comment by Dheeraj Kumar Sahu on January 25, 2011 at 9:13pm
ha ha.. badhiya kavita maja aa gaya

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 25, 2011 at 9:06pm
हम सब को खीझा और परेशान
देख कर भी चैन की वंशी बजाओ ...
लेकिन हम भी हार नहीं मानेंगे 
तुम लाख छिपो 
तुम्हे खोजने का प्रयास करते रहेंगे 
और खेलते रहेंगे
HIDE  & SEEK 
बहुत बढ़िया , अच्छी कविता है डॉ साहब  , आप कितना भी छुपिये चाहने वाले तो खोज ही लेंगे , बधाई हो , कुशल अभिव्यक्ति |
Comment by आशीष यादव on January 25, 2011 at 8:32pm
Ha wo chhahe jitna chhip le, rahasy ki taraf to dhyan hmara rhega hi. Achchhi kawita k liye dhanyawad.
Comment by Raju on January 23, 2011 at 10:05pm
इस कविता को हमसभी के बीच प्रस्तुत करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार और धन्यवाद.
Comment by R. K. PANDEY "RAJ" on January 21, 2011 at 8:55pm
तुम्हे खोजने का प्रयास करते रहेंगे
और खेलते रहेंगे
HIDE & SEEK
लगातार

सच कहूँ तो ईश्वर कि सखा-भाव से खोज कि एक अद्दभुत मिसाल है आपकी ये कविता. प्रभु से कवितामयी वार्ता अत्यंत ही आकर्षक और भावपूर्ण है.

इस कविता को हमसभी के बीच प्रस्तुत करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार और धन्यवाद.

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