दुन्दुभी क्या? वो बाँसुरी होगी
*******************************
2122 1212 22
काई ज़ज़्बात पर जमी होगी
दूरी ,क्या यूँ ही बन गयी होगी ?
पूर्ण तो बस ख़ुदा ही होता है
आदमी है तो कुछ कमी होगी
जख़्म रिसते रहे हैं मेरे तो
कुछ निशानी भी बन गयी होगी
सच को सच आज कह सकें हम सब
कोई तो एक सरज़मी होगी
मैने खोजा बहुत नहीं पाया
छत पे सोचा था चाँदनी होगी
क़त्ल करती है माँ ही बच्चे को
सोचिये कैसी बेबसी होगी
जिसकी आवाज़ ने मिलाया है
दुन्दुभी क्या? वो बाँसुरी होगी
आज तारीकी जितनी गहरी है
लगता है कल से रोशनी होगी
*************
( संशोधित )
मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
आदरणीय नीरज मिश्रा भाई , गज़ल की सराहना कर हौसला अफज़ाई करने के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!
आप के अनुभव आपकी दार्शनिकता और आपकी सोच
को क्या कहूं जो झलकाई है आपने इस ग़ज़ल में ,
पूर्ण तो बस ख़ुदा ही होता है
आदमी है तो कुछ कमी होगी
आप के इस शेर पर तो दिल ही ठहर गया
बहुत बहुत बहुत खूबसूरत ग़ज़ल
आदरणीय भंडारी जी
आपका सदैव स्वागत है आदरणीय
सच है, आदरनीय अरुण भाई , अपनी गलती मुश्किल से दिखती है , मै सुधार का प्रयास करूँगा !!!!! आपका शुक्रिया !!!!
आदरणीय चौधे एवं अंतिम शेर में तकाबुले रदीफ़ का दोष उत्पन्न हो रहा है.
आदरणीय अरुण अनंत भाई , हौसला अफज़ाई के लिये आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार !!!!!
आदरणीय किन दो शेरों के विषय मे आपने इशारा किया है , और क्या गलती हुई है कृपा कर बतायें , ताकि मै सुधार कर पाऊँ !!! सादर !!
वाह आदरणीय खूबसूरत अशआर उम्दा ग़ज़ल बहुत बहुत बधाई स्वीकारें दो शेर दोषपूर्ण हैं आदरणीय पुनः देख लें.
आदरणीय सुशील भाई , हौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!!
इस सुंदर गज़ल हेतु बहुत बहुत बधाई आ0 गिरिराज जी......
आदरणीय रमेश भाई , गज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार !!!!!!!
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online