For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दुन्दुभी क्या? वो बाँसुरी होगी -- ( ग़ज़ल ) गिरिराज भन्डारी

दुन्दुभी क्या? वो बाँसुरी होगी

*******************************

 2122    1212       22

 

काई ज़ज़्बात पर जमी होगी

दूरी ,क्या यूँ ही बन गयी होगी  ?

पूर्ण तो बस ख़ुदा ही होता है

आदमी है तो कुछ कमी होगी

 

जख़्म रिसते रहे हैं मेरे तो

कुछ निशानी भी बन गयी होगी

 

सच को सच आज कह सकें हम सब 

कोई तो एक सरज़मी होगी

 

मैने खोजा बहुत नहीं पाया

छत पे सोचा था चाँदनी होगी

 

क़त्ल करती है माँ ही बच्चे को

सोचिये कैसी बेबसी होगी

 

जिसकी आवाज़ ने मिलाया है

दुन्दुभी क्या? वो बाँसुरी होगी

 

आज तारीकी जितनी गहरी है 

लगता है कल से रोशनी होगी   

 *************

( संशोधित )

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 875

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 17, 2013 at 7:58am

आदरणीय वीनस भाई , गलतियाँ सामने लाने के लिये आपका आभारी हूँ , संशोधित कर  फिर से पोस्ट कर देता हूँ । आपका शुक्रिया ॥

Comment by वीनस केसरी on December 17, 2013 at 3:53am

काई ज़ज़्बातों पर जमी होगी

रोज़ ही कुछ कहा सुनी होगी ..
आदरणीय जज़्बा का बहुवचन जज़्बात है .. अब ये जज्बातों क्या लफ्ज़ हुआ ? हैरानी है कि किसी ने नहीं टोका .... जम सुन के कारण ईता दोष भी है .. हालांकि आपकी कई ग़ज़लों में मैंने ईता दोष देखा है ... आप चाहें तो ईता दोष को न मानें ...बहुत लोग इसे नहीं मानते

कुछ निशानी सी बन गयी होगी ... निशान बनने को निशानी कहते हैं ,,, ज़बान के लिहाज से जुमला गलत है

 
ग़ज़ल को और समय दें तो निखर जाए ...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 18, 2013 at 12:33pm
आदरणीया प्राची जी , गज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार !!!!!

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 18, 2013 at 11:52am

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी 

पूरी ग़ज़ल बहुत सुन्दर हुई है..

इस एक शेर की भाव दशा पर तो ख़ास बधाई लीजिये 

क़त्ल करती है माँ ही बच्चे को

सोचिये कैसी बेबसी होगी

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 15, 2013 at 10:44am

आदरणीय अभिनव अरुण भाई , !!!!! गज़ल की सरहना और हौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!!

!!!!!!!स्नेह ऐसे ही बनाये रखे !!!!!!!

Comment by Abhinav Arun on November 15, 2013 at 9:51am

पूर्ण तो बस ख़ुदा ही होता है आदमी है तो कुछ कमी होगी...क्या कहने श्री गिरिराज जी ...बहुत गहरी बातें समाई हैं हर शेर में . इस फलसफे इस अंदाज़ के सदके ! सौ सौ साधुवाद इस सार्थक संदेशपरक ग़ज़ल के लिए आदरणीय !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 15, 2013 at 7:34am

आदरणीय नीलेश भाई ,!!!!!  हौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 15, 2013 at 7:25am

पूर्ण तो बस ख़ुदा ही होता है

आदमी है तो कुछ कमी होगी... वाह वाह वाह .. बधाई सर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 14, 2013 at 9:02pm

आदरणीय केवल भाई , गज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका हृदय से आभारी हूँ

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 14, 2013 at 8:34pm

आ0 भण्डारी भाईजी   खूबसूरत गजल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई जैफ जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद।"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय ज़ेफ जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"//जिस्म जलने पर राख रह जाती है// शुक्रिया अमित जी, मुझे ये जानकारी नहीं थी। "
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमित जी, आपकी टिप्पणी से सीखने को मिला। इसके लिए हार्दिक आभार। भविष्य में भी मार्ग दर्शन…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"शुक्रिया ज़ैफ़ जी, टिप्पणी में गिरह का शे'र भी डाल देंगे तो उम्मीद करता हूँ कि ग़ज़ल मान्य हो…"
8 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. दयाराम जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास रहा। आ. अमित जी की इस्लाह महत्वपूर्ण है।"
8 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. अमित, ग़ज़ल पर आपकी बेहतरीन इस्लाह व हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी, समयाभाव के चलते निदान न कर सकने का खेद है, लेकिन आदरणीय अमित जी ने बेहतर…"
8 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. ऋचा जी, ग़ज़ल पर आपकी हौसला-अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
8 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. लक्ष्मण जी, आपका तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
8 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service