For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -निलेश 'नूर'--उठेगी जब तेरी अर्थी

उठेगी जब तेरी अर्थी, ये नज्ज़ारा नहीं होगा,

चिता को आग देगा, क्या, तेरा प्यारा नहीं होगा?
.

हमारे आंसुओं को तुम जगह लब पर ज़रा दे दो.

यकीं जानों कि इनका ज़ायका खारा नहीं होगा.
.

नज़र मुझ से मिलाकर अब ज़रा वो बेवफ़ा देखे,

फिर उसके पास मरने के सिवा चारा नहीं होगा.
.

बहुत से लोग दुनियाँ में भटकते है मुहब्बत में,

जहां भर में कोई सूरज सा आवारा नहीं होगा.
.

ठहरता ही नहीं है ये कहीं भी एक भी पल को,

समय सा कोई भी फक्कड़ या बंजारा नहीं होगा.
.

ज़रा सोचो, किसी को यूँ ही बेचारा न तुम कह दो,

कि साया माँ का जिस पे हो वो बेचारा नहीं होगा.
.

वो इंसाँ हो नहीं सकता, ख़ुदा होगा यक़ीनन वो,

लड़ाई खुद की खुद से, जो कभी हारा नहीं होगा.
.

मिली है जिंदगी तुम नेक नीयत से बढ़ो आगे,

तुम्हारे पास मौका फिर ये दोबारा नहीं होगा.
.

तुम्हारे बाद ऐ ग़ालिब सुखनवर होंगे कितनें ही,

पर उनकी रोशनाई में वो उजियारा नहीं होगा.
.

चलो अंधी सुरंग के पार चलते है जहां बिखरा

ख़ुदा का ‘नूर’ होगा और अँधियारा नहीं होगा. 
............................................................
मौलिक व अप्रकाशित 
निलेश 'नूर'

Views: 803

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 16, 2023 at 8:25pm

आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। उम्दा गजल हुई है। हार्दिक बधाई।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on February 16, 2023 at 5:06pm

धन्यवाद आ. Dr.Prachi Singh साहिबा 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 18, 2013 at 11:56am

मिली है जिंदगी तुम नेक नीयत से बढ़ो आगे,

तुम्हारे पास मौका फिर ये दोबारा नहीं होगा............वाह!

चलो अंधी सुरंग के पार चलते है जहां बिखरा

ख़ुदा का ‘नूर’ होगा और अँधियारा नहीं होगा..........बहुत सुन्दर!

बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है आ० नीलेश जी ,

कई अशआर बहुत पसंद आये.

हार्दिक दाद क़ुबूल कीजिये 

 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 15, 2013 at 7:20am

शुक्रिया मित्रो ...
आदरणीय अरुन शर्मा 'अनन्त' जी ..विशेष आभार .. इसे "जहा पर बस" किये लेता हूँ ...कैसा रहेगा??? 

Comment by Saarthi Baidyanath on November 14, 2013 at 10:50pm

मिली है जिंदगी तुम नेक नीयत से बढ़ो आगे,

तुम्हारे पास मौका फिर ये दोबारा नहीं होगा......लाजवाब 

Comment by Abhinav Arun on November 14, 2013 at 7:33pm

बहुत से लोग दुनियाँ में भटकते है मुहब्बत में,

जहां भर में कोई सूरज सा आवारा नहीं होगा........वाह क्या कहने शानदार जिंदाबाद ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई !!

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 14, 2013 at 11:26am

आदरणीय बहुत ही उम्दा ग़ज़ल वाह वाह वाह ढेरों दिली दाद कुबूल फरमाएं. अंतिम शेर एक बार पुनः देख लें तकाबुले रदीफ़ आ रहा है.

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 14, 2013 at 6:43am

धन्यवाद मित्रो .... आदरणीय गिरिराज जी शायद कन्फ्यूज़न अनुस्वार के कारण है ... शायद सुरँग लिखना उपयुक्त होता, मै बदलाव कर लेता हूँ ... आभार  

Comment by Sushil.Joshi on November 14, 2013 at 5:11am

वाह वाह..... हर एक शेर बहुत ही उम्दा बन पड़ा है आ0 निलेश जी.... इस रचना के लिए हार्दिक बधाई.....

Comment by रमेश कुमार चौहान on November 13, 2013 at 10:48pm

आदरणीय निलेश खुबसूरत गजल कही है  आपने ये शेर मन को छू गया -

बहुत से लोग दुनियाँ में भटकते है मुहब्बत में,

जहां भर में कोई सूरज सा आवारा नहीं होगा.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
6 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
6 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
6 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
6 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
6 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
7 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
10 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service