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देख तमाशा
नेता मांगते भीख
लोकतंत्र है ।

जांच परख
आंखो देखी गवाह
जज हो आज ।

खोलता वह
आश्‍वासनों का बाक्स
सम्हलो जरा

कागजी फूल
चढ़ावा लाया वह
हे जन देव

मदिरा स्नान
गहरा षडयंत्र
बेसुध लोग

चुनोगे कैसे
लड़खड़ाते पांव
ड़ोलते हाथ

होश में ज्ञानी
घर बैठे अज्ञानी
निर्लिप्त भाव

जड़ भरत
देश के बुद्धिजीवी
करे संताप

....................................
मौलिक अप्रकाशित

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Comment

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Comment by annapurna bajpai on October 30, 2013 at 6:48pm

क्या ही सुंदर हाइकु !! बहुत बधाई आपको । 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 30, 2013 at 10:29am

सुन्दर और सामयि हाइकु | बधाई श्री रमेश चौहान जी 

Comment by Sushil.Joshi on October 29, 2013 at 9:36pm

बहुत ही सुंदर एवं पूर्णत: सार्थक हाइकू हैं आ0 रमेश भाई जी..... बहुत बहुत बधाई....

Comment by रमेश कुमार चौहान on October 29, 2013 at 11:35am

आदरणीय विशाल जी, जितेन्द्रजी, राम शिरोमणीजी आप‍ विद्वतजनों की समहमती से रचनाकर्म सार्थक हुआ । आप सभी का हार्दिक आभार

Comment by ram shiromani pathak on October 29, 2013 at 11:23am

आदरणीय रमेश भाई ,बहुत ही मारक हाइकू हुए है // बहुत बहुत बधाई///सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 29, 2013 at 11:05am

एक से बढ़कर एक, सार्थक रचना, बधाई स्वीकारें आदरणीय रमेश जी

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on October 28, 2013 at 9:52pm

सभी हायकू अपने शीर्षक को पूर्णतया सार्थक करते हुए........ हार्दिक बधाई स्वीकारें भाई !!!!

Comment by रमेश कुमार चौहान on October 28, 2013 at 3:49pm
आदरणीय पाण्डेयजी, आदरणीय भंडारीजी एवं आदरणीय राजेशजी आपलोगो ने रचना को मान दिया आपसब का आभार ।
Comment by राजेश 'मृदु' on October 28, 2013 at 3:25pm

जय हो आदरणीय, आपके हाईकु की छटा देखते ही बनती है, सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 28, 2013 at 2:02pm

आदरणीय रमेश भाई ,   बहुत सुन्दर सामयिक चुनावी हाईकू रचे आपने !!!! आपको दिली बधाई !!!!

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