For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!!! सारांश !!!
बह्र - 2 2 2


कर्म जले।
आंख मले।।


धर्म कहां?
पाप पले।


नर्म गजल,
कण्ठ फले।


राह तेरी ,
रोज छले।


हिम्मत को,
दाद भले।


गर्म हवा,
नीम तले।


जीवन क्या?
हाड़ गले।

आफत में,
बह्र खले।


प्रीत करों,
बन पगले।


विव्हल मन,
शब्द टले।


दृषिट मिली,
सांझ ढले।


गर मुफलिस,
बात टले।

कण्टक पथ,
सत्य फले।

दुष्ट यहां,
हाथ मले।


के0पी0सत्यम / मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 934

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 11, 2013 at 6:27pm

आदरणीया महिमा जी,  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 11, 2013 at 6:26pm

आदरणीय विन्ध्येश्वरी भार्इ जी,  आपके स्नेह और गजल पर नजर व उत्साहवर्धन हेतु आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by MAHIMA SHREE on October 10, 2013 at 10:32pm

अच्छा प्रयास है आदरणीय बधाई आपको

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on October 10, 2013 at 8:57pm
भाई केवल प्रसाद जी! छोटी बह्र में कमाल की रचना बिल्कुल नावक के तीर के समान। लेकिन गुरुजनों से निवेदन है कि मेरी शंका का समाधान करने की कृपा करें- क्या इतनी छोटी बह्र पर भी गजल सकती है।
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 10, 2013 at 7:18pm

आदरणीया गीतिका जी, आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका बहुत-बहुत आभार।   सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 10, 2013 at 7:18pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी, आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका बहुत-बहुत आभार।   सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 10, 2013 at 7:15pm

आदरणीय भण्डारी भार्इजी, आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका बहुत-बहुत आभार।   सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 10, 2013 at 7:15pm

आदरणीय विजय भार्इजी, आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका बहुत-बहुत आभार।   सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 10, 2013 at 7:13pm

आदरणीय सुशील भार्इजी, आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका बहुत-बहुत आभार।   सादर,

Comment by वेदिका on October 10, 2013 at 7:11pm

वाह! सुंदर गज़ल! बधाई!! 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
20 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
20 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
20 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
20 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
20 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
20 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
Monday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
Monday
Chetan Prakash commented on Dharmendra Kumar Yadav's blog post ममता का मर्म
"बंधु, नमस्कार, रचना का स्वरूप जान कर ही काव्य का मूल्यांकन , भाव-शिल्प की दृष्टिकोण से सम्भव है,…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"अच्छे दोहे हुए हैं, आदरणीय सरना साहब, बधाई ! किन्तु दोहा-छंद मात्र कलों ( त्रिकल द्विकल आदि का…"
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service