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ओ बावरी हँसी मुझे छोड़ो नहीं

ओ बावरी हँसी मुझे छोड़ो नहीं
रह जाओ मेरे संग
मेरी संगनी बनकर
मुझे छोड़ो नहीं

तुम बिन में क्या
एक बेमतलब का खिलौना
आओ खेलो मेरे संग
मुझे छोड़ो नहीं
ओ बावरी हँसी मुझे छोड़ो नहीं

मेरी साँसों के संग तुम चलो
दिल में मेरे तुम धडको
शांति बनकर विराजो मस्तक कमल पर
मुझे छोड़ो नहीं
ओ बावरी हँसी मुझे छोड़ो नहीं

आओ उड़ चलें गगन के पार
वहां घर बसाएंगे
मिलकर कुछ गुल खिलायेंगे
एक बगिया अपनी भी बनायेंगे
कूकोगी तुम तो बहार आएगी
मोर नाचेंगे
झिलमिलाती रौशनी बरसेगी बदन पर
हम खूब मोज मनायेंगे
होगी अपनी भी कहानी
ओ मेरी पटरानी
मुझे छोड़ो नहीं
ओ बावरी हँसी मुझे छोड़ो नहीं

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Comment

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Comment by Bhasker Agrawal on January 12, 2011 at 12:13pm
धन्यवाद लाता जी
Comment by Lata R.Ojha on January 7, 2011 at 4:58pm
बहुत खूब भास्कर जी :)

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