For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!!! पाठशाला बेमुरव्वत !!!

लोग मन को जांचते हैं,
भांप कर फिर काटते हैं।।

जब किसी का हाथ पकड़ें,
बेबसी तक थामते हैं।

धूप में बरसात में भी,
छांव-छतरी झांकते हैं।

दोस्तों से दुश्मनी जब,
रास्ते ही डांटते हैं।

छोड़ते हैं दर्द विषधर
बालिका को साधते हैं।

आज गरिमा मर चुकी जब,
गीत - कविता भांपते हैं।

जिंदगी में शोर बढ़ता
रिश्ते सारे सालते हैं।

पाठशाला बेमुरव्वत,
प्राण अस्मत चाहते हैं।

मैं सुनाऊं आप सुन लें
मौन दीपक कांपते हैं।

के0पी0सत्यम/मौलिक व अप्रकाशित

Views: 704

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 13, 2013 at 6:21pm

आ0 बृजेश भाई जी,  सादर प्रणाम! भाई जी, आप पाठक हैं या समीक्षक यह बात मेरे समझ में नहीं आयी।  भाई! मेरी भाषा और शैली अनूठी है, जो कभी भी किसी से मेल नहीं खाएगी।  क्यों कि मैं अपनी  बात लिखता हूं।  आपकी स्पष्टता और समझ को इस तालमेल में मत मिलाइए।  आपके स्नेह के लिए आपका हृदयतल से आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 13, 2013 at 6:11pm

आ0 विजय भाई जी,  सादर प्रणाम! आपके स्नेह और सराहना के लिए आपका हृदयतल से आभार।  सादर,

Comment by बृजेश नीरज on September 13, 2013 at 1:04pm

आदरणीय केवल भाई बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!
एक निवेदन कि कहन में ऐसी स्पष्टता अवश्य होनी चाहिए कि पाठक को झट समझ आ जाए। यह मेरी समझ भर है। हो सकता है कि आप कि इस विषय पर आपकी राय अलग हो।
सादर!

Comment by विजय मिश्र on September 13, 2013 at 12:23pm
भाई केवलजी , आपकी कविता के शब्द-शब्द मन को काटते हैं , विषय सधा हुआ और व्यथित करती अभिव्यक्ति , समयोचित संदर्भ . बधाई .
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 12, 2013 at 6:09pm

आ0 अरविन्द भाई जी, आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 12, 2013 at 6:08pm

आ0 भण्डारी भाई जी, आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 12, 2013 at 6:07pm

आ0 महिमा श्री जी, आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 12, 2013 at 6:06pm

आ0 राम शिरोमणि भाई जी, आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 12, 2013 at 6:05pm

आ0 अरून अनन्त भाई जी, आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 12, 2013 at 6:02pm

आ0 अनिल भाई जी, आपका बहुत-बहुत आभार।  सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service