For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वह पुराना बरगद

कहते है वह गवाह

उन शूर वीरों का

जो मर मिटे देश पर

इसकी आन औ शान

बचाने की खातिर

जाने कितने यूं ही

लटका दिये गये उन

शाखों पर जो देती

थीं दुलार प्यार व

हरे पत्तों की ठंडी

छाँव, ताजी हवा तब  

वह बरगद जवां था

मजबूती से खड़ा हो

देखता सोचता  था

अधर्मी पापियों एक

दिन वो भी आयेगा

जब तू भी यूं ही

मिटाया जाएगा

मै यहाँ खड़ा हो

देखूँगा तेरा भी अंत।

वह दिन आया जब

आततायियों की

आई बारी ढूंढ-

ढूंढ कर जड़े उखाड़ीं

रानी लक्ष्मी बाई

नाना व तात्या ने

बिठूर की शान बढ़ाई

चल दिये सब वीर कर

न्योछावर अपनी  

ज़िंदगानी, फलसफ़ा

दे प्यार का क्रम यूं

चलता रहे, देश प्रेम  

दिलों मे पलता रहे, न

रहे  भेद भाव कभी, न  

हो बैर भाई का

भाई से कभी फिर.........

आज हम आजाद हुये  

वो बरगद वही पर

खड़ा था मुसकुराता ।

अब वह बूढ़ा हो चला

हरी पत्तियों का

झुरमुट भी कम हुआ

शाखें भी झुकने लगीं

फिर भी देता रहा वह

अपने प्यार की छाँ

वर्षों का सफर तय

करता पहुंचा वह

अंतिम पड़ाव  पर

प्राण बाकी थे व

कुछ आशा भी शायद

मेरे बच्चे मुझसे करते

स्नेह और सम्मान

देते मुझे,  कैसे त्यागूँ

अपने प्राण ................

एक दिन एक ठिठुरते

कंपकपाते हाथों ने

काट दी जीवन डोर

मै बूढ़ा क्या करता

अलविदा कह चल दिया

पुरानी यादें ले कर

मुस्कुराता बरगद

पड़ा था जमीन पर

जल कर भी दे गया

तपिश और थोड़ी सी

राख ..............।

 

अन्नपूर्णा बाजपेई

 

अप्रकाशित एवं मौलिक

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

  

 

  

 

 

 

 

 

Views: 627

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on August 27, 2013 at 10:17pm

आ ० सौरभ जी आपका हार्दिक आभार । 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 26, 2013 at 7:14pm

इस संदर्भ में एक तथ्य साझा करना है.. डॉ.प्राची,  कि सभी अतुकान्त रचनाएँ छंदमुक्त नहीं होती लेकिन सभी छंदमुक्त रचनाएँ अतुकान्त होती हैं.

आदरणीया अन्नपूर्णा जी, आपके प्रयास पर बधाई. प्रयासरत रहें.

सादर

Comment by annapurna bajpai on August 21, 2013 at 7:42pm
आदरणीया प्राची जी आपकी बात सही है किन्तु पहली बार मैंने मात्राओं का प्रयोग करके कविता लिखने का प्रयास किया है इससे पहले मात्राओं के प्रयोग के साथ कविता नहीं लिखी । गेयता पर इसी वजह से हो सकता है कि लय नहीं बन पाई है । अब आगे से मात्रा व शब्द प्रयोग करते समय गेयता भी साथ मे ध्यान देती रहूँगी ।
सादर
अन्नपूर्णा बाजपेई
Comment by annapurna bajpai on August 21, 2013 at 7:31pm
आदरणीय राम शिरोमणि पाठक जी , आ० वंदना जी आपका हार्दिक आभार ।
Comment by annapurna bajpai on August 21, 2013 at 7:31pm
आदरणीय राम शिरोमणि पाठक जी , आ० वंदना जी आपका हार्दिक आभार ।
Comment by Vindu Babu on August 21, 2013 at 7:15pm
आदरेया आपकी रचना का कथ्य बहुत ही प्रभावी है।
इस भावपूर्ण रचना के लिए आपको बहुत बधाई।
सादर
Comment by ram shiromani pathak on August 20, 2013 at 2:48pm

बहुत ही सुन्दर रचना//

हार्दिक बधाई आदरणीया अन्नपूर्ना जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 20, 2013 at 11:37am

आदरणीयाँ अन्नपूर्णा जी 

अभिव्यक्ति का भाव पक्ष प्रबल है, पर क्या यह गद्य को ही तोड़कर  छोटे छोटे  वाक्यांशों में लिखा गया सा प्रतीत नहीं होता?

अतुकांत में अंतरगेय प्रवाह होना रचना को रोचक कर देता है ..कुछ ऐसे ही तत्वों को शामिल कर यह अभिव्यक्ति पद्य बन सकेगी.

सादर शुभेच्छाएँ 

Comment by annapurna bajpai on August 19, 2013 at 11:38pm

आदरणीया शुभ्रा जी आपका हार्दिक आभार ।  

Comment by shubhra sharma on August 19, 2013 at 11:22pm

adarniya annpurna ji sundar rachana ke liye badhayee 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
17 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
17 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
17 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
18 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
23 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service