For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जो मै नेता होती ( हास्य कविता )

यदि होती नेता मै  

सिंहासन पर बैठती

अगल बगल प्यादे

लंबी मोटर कार होती

तिजोरी भर धन होता

यहाँ कुछ वहाँ होता  

षटरस व्यंजन खाती

गिनती एक न करती

देना तो दूर की बात

सब छीन ले आती

भूखे कितने भी भूखे

दो रोटी की थाली

बनवाती संग मे

चावल , कटोरी दाल

बोनस कह कद्दू देती

उन्नति का ठेंगा

पड़े रहते सब नेता

जो बिचारे फिरते है

वोट मांगते रहते है

अंत मे मौन रहे साध

आँख मूँद रहे अगाध

प्यादे बोलते हैं

प्यादे ही करते है

निपट निखट्टू सुनते

मंत्री जो संतरी कहते

चुपचाप की राजनीति

समझ न आती रीति

ऐसा ही करती

जो नेता होती ।.......................... अन्नपूर्णा बाजपेई

 

 

अप्रकाशित एवं मौलिक

 

 

Views: 1522

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on August 27, 2013 at 9:59pm

आदरणीय सौरभ जी आपको अन्नद आया । मुझे खुशी है । सादर । 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 25, 2013 at 12:22am

ऐसा ??   हा हा हा हा..............

Comment by annapurna bajpai on August 16, 2013 at 11:13pm

आदरणीया प्राची जी आपका कमेन्ट पढ़ कर मजा आ गया। धन्यवाद ।   


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 16, 2013 at 4:55pm

आदरणीया अन्नपूर्णा बाजपेई जी 

अच्छा है आप नेतागिरी से दूर ही हैं...... माह के एक दो बड़े घोटाले और बढ़ जाते वर्ना 

हाहाहा 

Comment by MAHIMA SHREE on August 15, 2013 at 12:24pm

अच्छी व्यंग्यात्मक प्रस्तुति आदरणीया ...बधाई स्वीकार करें

Comment by annapurna bajpai on August 15, 2013 at 11:56am

आदरणीय माथुर जी , डा० आशुतोष जी , आपका हार्दिक आभार ।

Comment by annapurna bajpai on August 15, 2013 at 11:54am

आदरणीय वीनस केसरी जी आपकी बात सही है पढ़ने मे हंसी तो नहीं आती है पर जब यह व्यंग्यगात्मक हास्य  कविता गा कर काही जाती है तब सुनने मे हंसी आ जाती है ।

Comment by D P Mathur on August 15, 2013 at 8:38am

आदरणीया अन्नपूर्णा जी नमस्कार !
व्यंग्य का चाहत से मिलन आपकी इस रचना में सुन्दर प्रकार से किया गया है आपको बधाई

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 15, 2013 at 8:06am

सुंदर व्यंग्य ..सादर बधाई

Comment by वीनस केसरी on August 15, 2013 at 3:21am

अच्छी रचना है ... व्यंग्य को सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया है
मगर इस हास्य रचना में कहीं हँसी नहीं आई  !!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
11 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
11 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
11 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
12 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
17 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service