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लघु कथा : रमजान (गणेश जी बागी)

क किलो मटन आज वास्तव में एक किलो का ही लग रहा था । मैंने तराजू और बाट पर नज़र दौड़ाई । मालूम हुआ दोनों बिल्कुल नये हैं । अभी पिछ्ले महीने ही मटन लेने आया था तो पुराना तराजू और घिसे हुए बाट थे । बाट के नीचे से लगा हुआ तब रांगा भी गायब था । एक किलो मटन मानो आठ सौ ग्राम का ही लगता था | 
दुकान पर मौजूद छोटू से मैने धीरे से पूछ ही लिया, "क्या बात है जी, नया तराजू, नये बाट?.." 
छोटू दुकान मालिक की नज़र बचा कर फुसफुसाया, "सर, रमजान का महीना है ना, मालिक का रोज़ा चल रहा है,  ईद बाद फिर वही ........"
  • समाप्त 
(मौलिक व अप्रकाशित)
पिछला पोस्ट => लघु कथा : दर्द

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 11, 2013 at 6:37pm

आदरणीया विनीता शुक्ला जी, आपकी टिप्पणी निश्चित ही मुझे और बेहतर लिखने हेतु प्रेरित करेगी, बहुत बहुत आभार आदरणीया ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 11, 2013 at 6:33pm

आदरणीय सौरभ भईया जी, आपने रचना की गहराइयों को पहचान कर यथोचित टिप्पणी  की है, रचना कर्म सार्थक हो गया क्योंकि जो लेखक कहना चाहता हो और हुबहू वही पाठक तक पहुँच रहा हो तो निश्चित ही रचना सफल हुई,  उत्साहवर्धन और सराहना करती टिप्पणी हेतु ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 11, 2013 at 6:22pm

प्रिय केवल भाई, आपकी सराहना सर आँखों पर, स्नेह बनाये रखें, सादर आभार । 

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 11, 2013 at 2:21pm

आदरणीय भ्राताश्री बेहद सुन्दर लघु कथा सच्चाई से रूबरू करवा दिया आपने, कथा की शुरुआत में लिखा ए लुभा रहा है. हार्दिक बधाई भाई जी

Comment by mrs manjari pandey on August 11, 2013 at 1:27pm

    ऐसी ही दिखावे की दुनिया है. लोगों को समझना बड.आ कठिन है.सामयिक एवम सटीक बात लिखी आपने. धन्यवाद

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 11, 2013 at 12:35pm

वाह! रे इंसान..महज कुछ दिन ईमान रखकर, ताउम्र की बेईमानी के तुल्य समझता है..

सटीक लघुकथा पर हार्दिक बधाई, आदरणीय गणेश बागी जी

Comment by वेदिका on August 11, 2013 at 12:18pm

वाह रे मानव!!  

भगवान के रोज है,उन दिनों इमानदारी पाल लेंगा तो बाकी दिनों में बेईमानी नगण्य हो जायेगी|

भगवान् को भी बना लेता है  मानव !

बहुत बहुत बधाई कटुसत्य के लिए आदरणीय बागी जी!!  


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 11, 2013 at 11:34am

टिप्पणी हेतु आभार आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 11, 2013 at 11:32am

बहुमूल्य टिप्पणी हेतु आभार आदरणीया वंदना तिवारी जी । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 11, 2013 at 11:22am

आदरणीय शिज्जू जी, लघुकथा की आत्मा तक पहुँच कर सराहना करने हेतु बहुत बहुत आभार । 

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