For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सूरज की लालिमा और 

उसे इस कदर थका हुआ देख ... 

पंक्षियों को लौटते देख 

दरख्तों के साये लंबे होते देख 

ये आभास हुआ कि

सूरज डूबने वाला है 

बच्चों का कलरव 

गाड़ियों का सड़क पर 

अचानक भागते हुये देख 

यह एहसास हुआ 

कि.... 

ये दिन डूबने वाला है 

फिर आंखे मूंदकर 

मैंने डूबते सूरज से कुछ मांगा 

इस बात से बेपरवाह 

कि डूबती हुयी चीज 

किसी को कुछ नहीं दे सकती 

जो खुद अँधेरों मे डूब रहा हो 

वो मुझे रोशनी नहीं दे सकता ... 

मगर न जाने क्यूँ 

मुझे ... 

ये मंजर.... 

ये शाम ... 

बहुत पसंद है... बहुत पसंद है ... 

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 479

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 17, 2013 at 1:19pm

ढलते हुए सूरज की बेला सभी को अपनी ओर आकर्षित करता है, अपने इस प्रस्तुति में बेहद गहरे भाव पिरोये हैं. इस सुन्दर अभिव्यक्ति पर हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by vijay nikore on July 17, 2013 at 1:19pm

भावपूर्ण सुन्दर रचना के लिए बधाई, आदरणीय।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by विजय मिश्र on July 17, 2013 at 12:11pm
अमोदजी ! डूबते सूरज को निहारना आपको अच्छा लगता है ,शाम बहुत प्यारी सी लगती है ,यह प्रकृति से मानव का मनोरम सम्बन्ध है ,इसलिए स्वाभाविक ही है . हाँ डूबते हुए के पास देने को उसका सर्वस्व होता है ,वही किसी महामनीषी की तरह स्वेम को समर्पित कर सकता है .प्राणाहुत करने की शक्ति होती है इनके अंतर में . सुन्दर रचना केलिए आभार .

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 16, 2013 at 8:43pm

गोधुली बेला, मौसम में ठंढक का एहसास, सिंदूरी रंगत लिए दृश्य बरबस उस परमेश्वर को नमन करने हेतु सर नत कर देता है जो सर्व शक्तिशाली है, बहुत ही खुबसूरत रचना, बधाई प्रेषित है । 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 16, 2013 at 1:18pm

संध्या का ढलता सूरज मन में अनगिन भाव जगाता, अनुसुलझे प्रश्न लाता और अकारण ही प्रकृति के उस रूप से सम्मोहित उसे निहारते जाना.. सुंदरता से अभिव्यक्त हुआ है.

हार्दिक बधाई 

गाड़ियों का सड़क पर ............यहाँ गाड़ियों को सड़क पर होना चाहिए 

अचानक भागते हुये देख 

Comment by Shyam Narain Verma on July 16, 2013 at 9:44am
बहुत ही सुन्दर रचना , हार्दिक बधाई......................................."

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
11 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
11 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
11 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
12 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
17 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service