For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आखिर आज वही बात सच हुई, जिसकी चेतावनी युगल  ने  नितिन को चार माह पूर्व  दी थी।
नितिन के पिता रामेश्वर जी के पास बटवारे के बाद केवल पांच एकड़ जमीन मिली थी। नितिन और विपिन दो भाई है। 
नितिन के पिता रामेश्वर रोटी राम है, नितिन और विपिन ने आठ माह पहले दो एकड़ जमीन बेच के व्यवसाय के लिए डाउन पेमेंट पर ट्रेक्टर लिया था। चार माह पहले ही नितिन की शादी हुयी, नितिन के घर की पहली ही शादी है जिसे पारम्परिक रूप से बहुत धूम धाम से होनी चाहिए, ऐसा रामेश्वर का मानना था। युगल ने नितिन व विपिन को खूब समझाने की कोशिश की अगर मन्दिर से शादी की जाये और दुल्हन के लिए एक मंगल सूत्र और पायल, बिछिया केवल से ही काम बन जाता जैसे की उनकी वर्तमान में हैसियत थी। और केवल कम हैसियत वाले लोग ही नही बल्कि सम्पन्न घर के लोग भी सादगी वाली शादी को अपनाने लगे है और ये सादगी वाली शादी करके कोई समाज में छोटा नहीं हो जाता, बल्कि दूरदर्शिता से काम लेते हुए शेष पैसो को बचा कर दुल्हन के लिए ही बैंक में राशी जमा कर देते है।   
लेकिन गाँव के सबसे ज्यादा पढ़े लिखे और समझदार किसान, युगल की समझाइश को दरकिनार करते हुए नितिन, विपिन और रामेश्वर ने, परम्परा को निभाया। और परम्परावादी रामेश्वर और नितिन ने विपिन की सहमति के साथ शेष तीन एकड़ जमीन में एक एकड़ फिर से बेच के दुल्हन के लिए पूरे गहने बनवाये और बारात में भी धूम धाम मचा दी।  
अब बहू घर आ चुकी है, ट्रेक्टर के शेष ऋन के रूप में बैंक की किश्तें भी सामने है, और घर की व्यवस्थाएं भी भंग है     
अब उनके पास कोई रास्ता नही है, आर्थिक तंगी को लेकर नितिन और विपिन बौखला रहे है, रामेश्वर को इस परेशानी से कोई लेना देना नही है। बाकि जमीन भी विक्रय करने की नौबत आ गयी है। तो क्या घर की लक्ष्मी के स्वागत के लिए पैतृक सम्पत्ति को बेचना आवश्यक था? इस प्रश्न के साथ नितिन, कर्ज दारों के दवाब में अब घर में कैद है 
                                                                                                                          -जितेन्द्र  'गीत' 
 
(मौलिक व अप्रकाशित)   
          

Views: 789

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 19, 2013 at 8:05pm

आदरणीय..दीपक जी! मेरी प्रथम रचना पर आप आये, मेरे लिए सौभाग्य की बात है   

Comment by Dipak Mashal on July 19, 2013 at 7:28pm

योगराज जी और गणेश जी भाई से सहमत हूँ, प्रथम रचना पर बधाई:)

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 18, 2013 at 9:08am

बहुत बहुत आभार किशन जी 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 18, 2013 at 9:08am

आभार आपका विजय मिश्र जी

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 17, 2013 at 10:03pm

बहुत बहुत आभार 

आदरणीय केवल सत्यम जी

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 17, 2013 at 10:02pm

बहुत बहुत आभार 

आदरणीय शिज्जू जी

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 17, 2013 at 10:01pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी! 

तहे दिल से शुक्रिया की आप रचना पर आई, विद जनों की बात को जरुर ध्यान रखूँगा  

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 17, 2013 at 10:00pm

आदरणीय योगराज जी! नमन,

मै अगली रचना प्रस्तुत करने के पहले विस्तार से बचूंगा, मार्ग दर्शन देते रहिये,

जीवन रक्षक टीके के लिए धन्यवाद. :))     

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 17, 2013 at 9:55pm

आपका शुक्रिया आदरणीया राजेश कुमारी जी, अपने उत्साह दिया  

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 17, 2013 at 9:53pm

आदरणीय गणेश जी बागी !  आपने कथा को सराहा, आपको भाव  स्पष्ट हुआ ,मुझे बहुत खुशी मिली ,आत्मबल मिला....आपका स्नेह बनाये रखिये !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
15 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रदत्त विषयानुसार मैंने युद्ध की अपेक्षा शान्ति को वरीयता दी है. युद्ध…"
15 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"   आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रस्तुत गीत रचना को सार्थकता प्रदान करती प्रतिक्रिया के…"
15 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, नाश सृष्टि का इस करना/ इस सृष्टि का नाश करना/...गेयता के लिए…"
15 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"  आदरणीय गिरिराज भण्डारी जी सादर, प्रस्तुत गीत रचना को प्रदत्त विषयानुरूप पाने के लिए आपका…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"क्या ही कथ्य, क्या ही तथ्य और क्या ही प्रवाह .. वाह वाह वाह ..  आदरणीय अशोक भाईजी, आपने…"
16 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"युद्ध की विभीषिका की चेतावनी देती उत्तम रचना हुई आ॰ अशोक जी। सभी भाव पसंद आए।"
16 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय। परिवर्तित मतला और शेर भी बहुत प्रभावी बन पड़ा है। मंच को लाभान्वित करने…"
16 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"अच्छे दोहे हुए हैं लक्ष्मण भाई। सार्थक और विषयानुकूल। बहुत बढ़िया "
16 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"धन्यवाद आदरणीय अशोक जी "
16 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आभार गिरिराज जी "
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service